Unseasonal love in Hindi Love Stories by InkImagination books and stories PDF | बेमौसम मोहब्बत

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बेमौसम मोहब्बत

कहानी शीर्षक: 💞 "बेमौसम मोहब्बत"
लेखिका: InkImagination


प्रस्तावना:
यह कहानी अन्वी और आदित्य के बीच एक अनपेक्षित, बेमौसम मोहब्बत की गहरी और रोमांटिक यात्रा है। जहाँ समाज के दबाव और पारिवारिक अपेक्षाओं ने उनके रास्तों को अलग करने की कोशिश की, वहीं उनके दिलों की पुकार ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया। यह कहानी प्यार की हिम्मत, समझदारी, और रोमांस से भरी है, जो हर पाठक को अपने साथ जोड़ेगी।

अध्याय 1: मुलाकात की शुरुआतवह एक साधारण सांझ थी, जब अन्वी ने पहली बार आदित्य को देखा था। अन्वी, 22 साल की, एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी, जिसके सपने बड़े थे—किताबें पढ़ना, लिखना, और अपनी पहचान बनाना। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें और कोमल मुस्कान उसे खास बनाती थीं। उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन घर में अब शादी का दबाव बढ़ रहा था।आदित्य, 27 साल का, एक सॉफ्टवेयर डेवलपर, जिसकी जिंदगी में काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा था। उनकी मुलाकात एक ऑनलाइन फोरम पर हुई थी, जहाँ दोनों ने किताबों और जीवन के बारे में बातें कीं। एक अजनबी से दोस्ती, और फिर दोस्ती से कुछ गहरा—लेकिन दोनों ने कभी “हम” शब्द नहीं कहा। उनकी बातें अधूरी रहतीं, जैसे कोई कविता जिसका अंत लिखा ही न गया हो।

अध्याय 2: परिवार का दबावअन्वी के घर में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। उसके पिता ने एक सरकारी अफसर, राहुल, को पसंद किया था—सुशील, स्थिर नौकरी वाला, और परिवार के लिए “सही” वर। सगाई की तारीख तय हो गई, और अन्वी चुप रही। उसकी माँ खुश थी, पिता गर्व से भर गए, लेकिन अन्वी का दिल रो रहा था। राहुल से उसकी कोई मुलाकात नहीं हुई थी, और उसका मन कहीं और अटका था—आदित्य के पास।उधर, आदित्य के घर में भी हलचल थी। उसकी माँ ने एक लड़की, प्रीति, को पसंद किया था—एक डॉक्टर, सुंदर, और परिवार की पसंद। लेकिन आदित्य का दिल कहीं और धड़कता था। जब उसे अन्वी की सगाई की खबर मिली, उसका मन बेचैन हो उठा। उसने अन्वी को फोन किया और कहा, “मुझे तुमसे मिलना है… आज ही।”

अध्याय 3: दिल की पुकारवह शाम थी, जब दोनों एक छोटी सी कॉफी शॉप में मिले। बारिश की बूंदें खिड़की पर गिर रही थीं, और हवा में एक ठंडक थी। अन्वी ने सीधे सवाल दागा, “तुम मुझसे शादी क्यों करना चाहते हो?”आदित्य ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “क्योंकि… अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं बचा।” लेकिन उसकी आँखों में हंसी नहीं, बल्कि एक गहरा दर्द था। उसने अन्वी का हाथ थामा और बोला, “मैं पिछले एक साल से तुम्हारी आवाज़, तुम्हारी बातों में खोया हूँ। तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है।”अन्वी की आँखें नम हो गईं। उसने कहा, “लेकिन हमारे घरवाले… वे कभी मानेंगे नहीं।”
आदित्य ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “तुम चाहो तो सब रुक सकता है। मैं तुम्हारे लिए लड़ूँगा, अन्वी।”“और फिर?” अन्वी की आवाज़ में तड़प थी। “तुम्हारे घरवाले भी तो तैयार नहीं होंगे न?”आदित्य ने उसका हाथ कसकर पकड़ा और बोला, “नहीं होंगे… लेकिन शायद हमें अब उनके लिए नहीं, खुद के लिए लड़ना चाहिए। क्या तुम अपने होने वाले मंगेतर से प्यार कर पाओगी?”“नहीं…” अन्वी की आँखों से आँसू बह निकले। उसने अपना सिर झुका लिया, और उसका दिल चीख रहा था।आदित्य ने उसका चेहरा उठाया और फुसफुसाया, “तो चलो, शादी करते हैं—आज ही। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, अन्वी।”

अध्याय 4: हिम्मत की जंगउस रात दोनों ने फैसला किया—वे अपने घरवालों से आमने-सामने बात करेंगे। अन्वी अपने माता-पिता के सामने खड़ी हुई, और आदित्य उसके साथ था। घर में तनाव का माहौल था। अन्वी की माँ चिल्लाई, “तू क्या सोच रही है? राहुल से शादी कर लेगी, तो तेरी जिंदगी सेट हो जाएगी!”अन्वी ने साहस जुटाया और कहा, “माँ, मैं राहुल को नहीं जानती। मेरा दिल आदित्य के साथ है।”उधर, आदित्य के घर में उसकी माँ ने कहा, “तू प्रीति को छोड़कर इस लड़की के लिए सब खतरे में डाल देगा?” आदित्य ने गहरी साँस ली और बोला, “माँ, आप जिसे मेरे लिए पसंद कर रही हैं, वो मुझे जिंदगी भर पछतावा देगी। लेकिन अन्वी मुझे हर पल खुश रखेगी। मैं उससे प्यार करता हूँ।”घर में सन्नाटा छा गया। अन्वी के पिता ने आँखें नीची कीं और बोले, “अगर वही तुम्हें सुकून देता है, तो जाओ… जियो अपने फैसले के साथ।” आदित्य के पिता भी चुप रहे, लेकिन उनकी आँखों में एक स्वीकृति थी।

अध्याय 5: प्यार की जीतउस रात दोनों ने कोर्ट मैरिज की। कोई शोर-शराबा नहीं, सिर्फ प्यार और हिम्मत। अन्वी ने अपनी माँ की साड़ी पहनी, और आदित्य ने अपने पिता की घड़ी पहनी—एक सम्मान के रूप में। कोर्ट में उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा, और कसम खाई कि वे हमेशा साथ रहेंगे।शादी के बाद, वे अपने छोटे से फ्लैट में आए। वहाँ कोई लग्जरी नहीं थी, लेकिन प्यार से भरा माहौल था। पहली रात, अन्वी ने आदित्य को गले लगाया और कहा, “मैंने सोचा नहीं था कि हम इतनी जल्दी एक-दूसरे के हो जाएँगे।”आदित्य ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला, “यह बेमौसम मोहब्बत थी, अन्वी… लेकिन अब यह हमारी जिंदगी है।” उसने उसके माथे पर एक कोमल चुंबन रखा, और अन्वी की आँखों में खुशी के आंसू थे।

अध्याय 6: रोमांस का आलिंगनकुछ दिन बाद, एक बारिश की शाम को वे अपने फ्लैट की बालकनी में थे। बारिश की बूंदें हल्की-हल्की गिर रही थीं, और हवा में प्यार की मिठास थी। अन्वी ने आदित्य का हाथ थामा और कहा, “तुमने मेरी जिंदगी बदल दी।”आदित्य ने उसे अपनी बाँहों में खींचा। उसकी बाँहें गर्म और सुरक्षित थीं, और अन्वी का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसने उसके बालों को सहलाया और फुसफुसाया, “तुम मेरी हर साँस हो, अन्वी।”उन्होंने एक-दूसरे की आँखों में देखा, और उनके होंठ धीरे-धीरे मिले। वह चुंबन कोमल था, भावनाओं से भरा, जैसे वे एक-दूसरे को पूरी तरह समर्पित कर रहे हों। बारिश की बूंदें उनकी खामोशी को गवाह बनीं, और अन्वी ने उसकी छाती पर सिर रख दिया। “हमेशा साथ रहना,” उसने कहा।“हमेशा,” आदित्य ने जवाब दिया, उसे और कसकर बाँहों में भरते हुए।

अध्याय 7: दो साल बाददो साल बाद, वे उसी फ्लैट में थे, एक छोटे से सोफे पर बैठे। उनके हाथों में वह फोटो थी—उनकी सगाई की, जिसमें वे एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे। अन्वी ने कहा, “उस दिन मैं डर रही थी, लेकिन तुमने मुझे हिम्मत दी।”आदित्य ने उसका हाथ चूमा और बोला, “और तुमने मुझे जिंदगी दी, अन्वी। यह बेमौसम मोहब्बत अब हमारा हमेशा बन गई है।” वे एक-दूसरे के करीब आए, और उनकी साँसें एक-दूसरे से मिल गईं—एक प्यार जो समय के साथ और गहरा होता जा रहा था।

✨ अंतिम पंक्तियाँ

“बेमौसम मोहब्बत कभी देर नहीं करती,
वह हवा की तरह आती है, और दिलों को बाँध जाती है।
अन्वी और आदित्य की कहानी यही साबित करती है—
प्यार की हिम्मत हर दीवार तोड़ देती है।”


🌟पाठकों के लिए संदेश

प्रिय पाठकों, "बेमौसम मोहब्बत" अन्वी और आदित्य के प्यार की एक ऐसी कहानी है, जो शायद आपके दिल को भी गुदगुदा दे। अगर आपको यह पसंद आई, तो कृपया मुझे फॉलो करें और अपने विचारों को कमेंट में साझा करें। आपका हर प्यार और समर्थन मेरी लेखनी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। मेरी अन्य कहानियाँ भी पढ़ें, और मुझे बताएँ कि आपको क्या पसंद आया—आपके शब्द मेरे लिए प्रेरणा हैं! ❤️

InkImagination

समाप्त।