Nagmani - 1 in Hindi Thriller by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | नागमणि - भाग 1

Featured Books
Categories
Share

नागमणि - भाग 1


✍️ लेखक: विजय शर्मा एरीप्रस्तावना

कुछ सच इतने गहरे, इतने रहस्यमयी होते हैं कि ज़िन्दगी की सारी परतें उधेड़ कर रख देते हैं। ऐसी ही एक सच्चाई छुपी है एक लड़की – तन्वी – की आँखों में। बचपन की एक घटना ने उसकी किस्मत बदल दी। वो अब सिर्फ एक लड़की नहीं, बल्कि एक रहस्य, एक शक्ति और शायद एक श्राप भी बन चुकी है।1. बचपन की वो भयावह दोपहर

भैरवपुर, हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा गाँव। यहाँ के लोग सीधे-सादे, पहाड़ जितने शांत और झील जैसे गहरे थे। गाँव के पास घना जंगल था, जहाँ जाने की मनाही थी। लेकिन बच्चों के कदमों में कहां लगाम होती है?

तन्वी, महज़ सात साल की एक चंचल, हँसमुख और जिद्दी बच्ची थी। उसके माता-पिता किसान थे। एक दिन वो अपने छोटे भाई चिराग के साथ जंगल के किनारे खेल रही थी। फिसलते-फिसलते दोनों बच्चे उस पुराने वटवृक्ष तक पहुँच गए जिसे गाँव वाले 'नाग पीपल' कहते थे।

"तन्वी दीदी देखो! कितनी चमकदार चीज़ है!" चिराग ने पेड़ की जड़ों के पास कुछ चमकती चीज़ देख कर इशारा किया।

जैसे ही तन्वी झुकी, अचानक एक रंग-बिरंगा साँप तेजी से निकला और तन्वी की कलाई पर डस लिया। साँप की त्वचा किसी पुराने राजा के मुकुट की तरह झिलमिला रही थी। उसकी आँखें नीली थीं, और फन पर काले त्रिशूल जैसा चिन्ह।

तन्वी की चीख जंगल में गूंज उठी। चिराग डर से काँपता हुआ घर भागा।

गाँव में कोहराम मच गया। वैद्य बुलाए गए। बाबा लोग आए। तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, सब हुआ।

पर सबसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब तीन दिन बाद तन्वी नीली आँखों के साथ उठी। उसकी सांसें धीमी थीं लेकिन शरीर पर कहीं भी साँप के ज़हर का कोई असर नहीं था। उल्टा, उसकी कलाई पर साँप के काटने की जगह अब एक सुनहरा चिन्ह बन गया था — जैसे किसी दुर्लभ जाति का निशान।2. गाँव वालों की फुसफुसाहट

गाँव की औरतें अब उससे डरने लगी थीं।

"नाग ने इसे नहीं मारा... ये कोई आम बच्ची नहीं रही अब।"

"शायद नागदेवता ने इसे चुना है…"

"कहीं ये नागिन तो नहीं बन गई?"

बचपन के वो प्यारे खेल, दोस्त, हँसी – सब छूट गए। अब तन्वी के आस-पास एक सन्नाटा था… और आँखों में एक रहस्य।

उसकी माँ हमेशा कहती,“भगवान ने बचा लिया तुझे तन्वी, ये कोई चमत्कार था।”पर उसके पिता के चेहरे पर एक डर सा स्थायी हो चुका था, जो हर साँप देख कर तन्वी की आँखों में झाँकने लगता।3. सालों बाद… रहस्य गहराता गया

तन्वी अब 18 साल की हो चुकी थी। शांत, गम्भीर और अपनी ही दुनिया में खोई हुई।

उसकी चाल में गरिमा थी, आँखों में गहराई। स्कूल में सब लड़के उसे पसंद करते थे, पर कोई करीब नहीं आता था। वजह? हर कोई कहता — "उसकी आँखों में कुछ अजीब है… जैसे वो सब जानती है।"

उसके बैग में हमेशा एक डायरी होती थी जिसमें वो सांपों के बारे में अजीब-अजीब बातें लिखती रहती — नागलोक, नागमणि, शेषनाग, कर्कोटक, तक्षक…

स्कूल में एक दिन सांपों पर डॉक्यूमेंट्री चलाई गई। जैसे ही स्क्रीन पर साँप आया, तन्वी की आँखें पीली चमकने लगीं। सीट काँप उठी। साथ बैठी लड़की डर के मारे चीख पड़ी। projector फटाक से बंद किया गया। कोई नहीं समझ पाया कि ये क्या था।4. पहली खौफनाक घटना – राहुल की गलती

स्कूल का सबसे बदतमीज़ लड़का राहुल, जो खुद को हीरो समझता था, तन्वी के रहस्यमयी स्वभाव पर हँसता था।

एक दिन मज़ाक करने के लिए उसने उसके बैग में नकली रबर का साँप रख दिया।

जैसे ही तन्वी ने वो साँप देखा, उसकी पुतलियाँ फैलने लगीं। उसका शरीर कांपने लगा। चोटी खुद-ब-खुद लहराने लगी।

फिर अचानक…

धड़ाम!!!

राहुल एक कोने में जा फेंका गया, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे उठाकर दे मारा हो। उसकी नाक से खून बहने लगा।

बच्चे चिल्लाने लगे। एक लड़की बेहोश हो गई।

तन्वी वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी… पसीने-पसीने, आँखें बंद… और उसकी कलाई से हल्की नीली रोशनी निकल रही थी।

शहर से डॉक्टर बुलाया गया। रिपोर्ट नॉर्मल थी। लेकिन गाँव वालों का मन अब पक्का हो चुका था — “इस लड़की में कुछ है… ये इंसान नहीं रही।”5. माँ की चिंता और पुरानी डायरी

उस रात उसकी माँ ने एक पुरानी संदूक निकाली जिसमें तन्वी की बचपन की तस्वीरें और उसका झुलसा हुआ फ्रॉक था, जो उस दिन साँप ने काटा था।

उसके नीचे एक पुरानी डायरी थी — जो बाबा भैरवनाथ ने दी थी। उसमें लिखा था:

"जिसे कालनाग डंसे, वो या तो मरे… या नागमाया से बंध जाए।अगर जीवित रहे, तो वो बनती है नागशक्ति की वाहक।उसमें बसी होगी दिव्य शक्ति, पर मनुष्यों के लिए वो एक रहस्य बन जाएगी।"6. सपना जिसने सब कुछ बदल दिया

उस रात तन्वी को सपना आया।

एक काले महल में वो खड़ी थी। उसके सामने एक विशाल नाग बैठा था — फन फैला कर, उसके सामने झुका हुआ।

उसकी आँखों से नीली आग निकल रही थी।

नाग बोला:

“अब समय आ गया है… तू नागवंश की धरोहर है।तेरा उद्देश्य है संतुलन बनाना… अधर्मी दंड पाएंगे…तेरे भीतर छुपी है नागमणि की ज्योति।”

तन्वी चीखते हुए उठ बैठी। उसका शरीर गर्म हो गया था, और उसके हाथों से नीली रोशनी निकल रही थी।

आईने में उसने देखा – उसकी आँखों के चारों ओर नाग के फन जैसी आकृति थी।7. अगला दिन – वो शक्ति फिर जाग उठी

अगली सुबह गाँव में हड़कंप मच गया। गाँव के मंदिर के पुजारी शास्त्री जी ने बताया कि नागदेव की मूर्ति रात में अपने आप हिली थी। शिवलिंग के पास किसी ने तीन चांदी जैसे चमकते निशान देखे थे — त्रिशूल, नागफन और सूर्य।

शास्त्री जी ने कहा:

“ये किसी अद्भुत शक्ति का संकेत है… और ये शक्ति हमारे गाँव में ही है।”

तन्वी को बुलाया गया।

जैसे ही उसने मंदिर में कदम रखा, हवा थम गई। शिवलिंग के पास रखा दीपक अपने आप जल उठा।

भीड़ में एक बुजुर्ग स्त्री बुदबुदाई —“ये नाग कन्या है… इसका जन्म किसी खास उद्देश्य के लिए हुआ है…”8. एक नज़र… और पाप का अंत

गाँव में एक शराबी था बलिया, जो औरतों को छेड़ता था। एक दिन वो तन्वी के पास आकर बुरी बातें करने लगा।

तन्वी की आँखें चमकीं।

बलिया की आँखों के सामने धुंध छा गई। उसने देखा — उसके शरीर पर साँप लिपट गए हैं।

चीखते-चिल्लाते हुए वो भागा और कुएँ में गिर गया।

लोगों ने कहा — "सिर्फ एक नज़र में ये हुआ… वो लड़की देख ले, तो आत्मा काँप उठती है।"9. लेकिन… क्या ये सब वरदान है या अभिशाप?

तन्वी अकेली पड़ती जा रही थी। गाँव वाले उसकी पूजा भी करते और डरते भी।

स्कूल ने उसे निकाल दिया।

माँ ने उसे समझाया – “शक्ति का इस्तेमाल तभी करना जब ज़रूरत हो। वरना तू खुद इस शक्ति की कैदी बन जाएगी।”10. अंत या शुरुआत?

अब तन्वी अपने भीतर के नाग को महसूस कर सकती थी। जब कोई बुरा इंसान उसके पास आता, उसके हाथ गर्म हो जाते। जब कोई दुखी होता, उसकी हथेली से रोशनी निकलती जो दर्द कम कर देती।

एक दिन एक बूढ़ा साधु उसके पास आया।

“बेटी, अब तुझे नागमणि प्राप्त करनी है। वो शक्ति जो तुझे पूर्ण बनाएगी। लेकिन उसके साथ आएगा असली इम्तिहान… और तेरा पहला शिकार।”🔥 जारी है...

(भाग 2 में पढ़ें: तन्वी को नागमणि कहाँ से मिलती है? और कौन है उसका पहला शिकार – एक मासूम या एक राक्षस। )