अगले दिन सुबह आरव फिर मीरा को सौफे पर सोते हुए पाता है,
उठो मीरा यहां क्या कर रही हो??
मीरा आंखें खोल कर देखती है, सब कुछ नार्मल हो चुका था, रात की कुछ धुंधली तस्वीरे मीरा को नजर आ रही थी...
आरव : तुम यहां कब आई???
मीरा :तुम रात को कहां गये थे??
आरव : मै तो कमरे में ही था.... तुम नीचे कब आई???
मीरा : आरव तुम रात को कमरे में नहीं थे... मैंने तुम्हें आवाज लगाई पर कोई जवाब न आने पर मैंने नीचे आकर देखा.... फिर अचानक से....
( मीरा चुप हो जाती है,)
आरव : फिर क्या???
मीरा : कुछ नहीं...( मै आरव को कुछ बताऊंगी कि तो शायद उसे मुझपर यकिन नहीं होगा... और मै भी श्योर नहीं हूं कि, मैंने जो भी रात को देखा वो क्या था, सपना था ,या मेरा वहम)
आरव : तुम तैयार हो जाओ हमें डाॅक्टर के पास जाना है...
मीरा: क्यूं???
आरव : मीरा तुम नींद में चल रही हो...मै नहीं चाहता कि चीजे ऐसी ही रहे... तुम समझने की कोशिश करो ... इस बिमारी का इलाज कराना बहुत जरूरी है...
मीरा : ( कुछ बोल नहीं पाई.. क्या मैं सच मे नींद में चल रही हूं... हां शायद आरव सही कह रहा है...और शायद यही वजह है कि मुझे hallucinations हो रहे हैं...)
मीरा बाॅथरूम मे नहाने जाती है... रात में जो भी उसने देखा..वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर वो था क्या??
वो सबकुछ रिकाॅल करती है....
जब मै आरव को ढूंढने नीचे ग ई.. तब मैंने कुछ सुना था.. पर क्या??
मै जब घडी के सामने खड़ी थी... और आरव को आवाज लगा रही थी... तभी मैंने लैंडलाइन में रिंग सुनाई दी थी... पर पूरे घर लैंडलाइन तो है, ही नहीं फिर वो आवाज मुझे कहा से आई थी....
उसके बाद घडी उलटी चलने लगी और सब कुछ बदलने लगा...पर जो भी मैंने देखा वो सच था???
वो ये सब सोचते सोचते शाॅवर आॅन करती है... तभी उसे कुछ फुसफुसाने की आवाज आती है... मीरा मैंने तुम्हें देख लिया है... और जोर जोर से हंसने की आवाज आती है.... आवाज छोटी बच्ची जैसी लग रही थी....
मीरा घबरा जाती है... वो शाॅवर बंद करती है, पर अब कोई आवाज नहीं थी... मीरा बाॅथरूम से बाहर आती है...
आरव : क्या हुआ???
मीरा : कुछ नहीं मै आ रही हूं...
आरव : ये क्या मीरा मैंने इस डाॅल को बाहर फेंक दिया था... तुम फिर इसे ले आई...( आरव ने गुस्से में कहा)
मीरा : आरव मै नहीं लाई इसे अंदर मुझे तो पता भी नहीं है, तुमने इसे बाहर फेंक दिया था...
आरव : मीरा तुम भी न, हद करती हो.. चलो बैठो जल्दी गाड़ी में ,लेट हो रहे हैं, हम..
( आरव, मीरा उस डाॅल को वहीं छोड़कर निकल जाते हैं,)
डॉक्टर: ये कबसे हो आ है, आपको??
मीरा :शायद दो तीन दिनों से...
आरव : सर मीरा ठीक तों हो जायेगी न???
डॉक्टर: जी , बिल्कुल ठीक हो जाएगी ये मेडिसिन आप टाइम मे लिजिएगा... और अभी कंटीन्यूटी आप सेशन के लिए आते रहिए...
आरव : तुम्हें घर की याद आ रही है?? तुम्हारे मम्मी पापा की तुम चाहो तो हम उन्हें बुला सकते हैं... तुम्हारा मन भी लग जायेगा और मुझे भी तुम्हारी आॅफिस में चिंता नहीं होगी...
मीरा : ( हां में सर हिलाती है)
आरव : मुझे पता था, तुम हां ही बोलोगी... इसलिए मैंने पहले ही तुम्हारी मम्मी को फोन कर दिया है... तुम्हारे पापा बिजी हैं... पर मम्मी आ रही है..
मीरा : सच आरव, थैंक्यू..
आरव : आज मैंने तुम्हारे चेहरे पर कितने दिन बाद खुशी देखी... तुम्हें क्या हो गया है,मीरा जबसे यहां आये है, तुम खोई खोई रहती हों??
मीरा : आरव मै बिल्कुल ठीक हूं.. तुम मेरी चिंता मत करो...
( आरव , मीरा घर पहुंच चुके थे....डाॅल अब भी झूले पर ही थी...)
आरव इग्नोर कर के चला जाता है...और मीरा उसे देखकर फिर से बीती हुई खौफनाक बात के बारे में सोचने लगती है....
शाम को करीब 8: 00 बजे मीरा की मम्मी घर आ जाती है,, मीरा अपनी मां को देखते ही बच्चों की तरह अपनी मां से लिपट जाती है...
आरव : थैंक गॉड मम्मी आप आ गये... अब मीरा के ठीक होने तक आप यही रहिए.... जब मैं आॅफिस जाता हूं, तब मुझे मीरा की बहुत टेंशन होती है... अब आप आ गई है, तो मै रिलैक्स हो कर ऑफिस जा पाउंगा....
अब तुम बिल्कुल टेंशन मत लो आरव मै हूं न, मीरा बिल्कुल ठीक हो जाएगी...( मीरा की मां ने कहा)
हंसी मजाक और बातों में कब रात के बारा बज गये, पता ही नहीं चला...
आरव : मीरा आज तुम मम्मी के पास सो जाओ...समय बहुत हो चुका है, मम्मी भी थक गई होगी... तुम यहीं नीचे वाले कमरे में सो जाओ... मै उपर जाता हूं...
मीरा:रुको आरव... (मीरा आरव को रोकती है...)
आरव: क्या हुआ??
मीरा आरव को टाईट हग करती है, आय लव यू आरव तुम्हें पता था न , कि मुझे मां के साथ टाइम स्पेंड करना है,.
आरव : हां पता था, मम्मी जबसे आई है, तुम्हारे चेहरे पर अलग ही खुशी है... पर अभी छोडो मुझे मै गिर जाऊंगा...
वो हंस कर नीचे चली जाती है...
कितने रूखे सुखे बाल हो गये हैं, तेरे बालो में तेल नहीं लगाती क्या?? ( मीरा की मां ने कहा)
मीरा: मम्मी मुझे नींद आ रही है, कल सुबह तेल लगा देना मेरे बालों में...
ठीक है सो जा....
रात काफी हो चुकी थी... सब सो चुके थे,
मीरा की नींद फिर से खुलती हैं...
मीरा : प्यास लगी है, ( मीरा टेबल पर रखी बाॅटल को हाथ में उठाती है, )
ये क्या पानी खत्म है, अब मैं क्या करूं प्यास बहुत जोर से लगी है...एक काम करती हूं किचन से ले ही आती हुं... पर वो एक बार फोन उठाकर टाइम देखती है.. 3:15
मीरा किचन में पानी लेने जाती है...और जैसे ही हाॅल में पहुंचती है... उसका पैर एक कागज के टुकड़े में लगता है,, कागज थोड़ा गुलाबी रंग का होता है... मीरा उसे उठाकर देखतीं हैं...
वो जैसे ही कागज खोलती है..वो कागज फटा हुआ था... उसमें कोई पेंटिंग दिख रही थी...पर आधी और नीचे लिखा था, अनुराधा....
मीरा पढ़कर थोड़ा डर जाती है...
इसका मतलब कल जो भी हुआ था, वो सच था??? मै कहीं गई थी.. जहां वो आरव की तरह दिखने वाला आदमी... और वो औरत जिसका नाम अनुराधा था....
जब मैंने उस लड़की को देखा तो मै टेबल के पीछे छिप ग ई थीं... और ये टुकड़ा मेरे साथ यहां आ गया... ये क्या हो रहा है??
मीरा इतना सोच ही रही थी कि... टेलीफोन के बजने की आवाज आती है... मीरा धीरे धीरे आगे बढ रही थी... टेलीफोन तीन बार बजा और बंद हो गया...
मीरा घडी के सामने खड़ी थी, घडी में 3:30 बज रहे थे... फिर अचानक घडी के काटे उल्टे चलने लगे.... और पहली रात के तरह सब कुछ तेजी से बदलने लगा...
मीरा फिर से दूसरी टाइम लाइन में पहुंच चुकी थी... पर अब वो अपने और आरव के कमरे के बाहर खड़ी थी.... अंदर की बातें मीरा को साफ सुनाई दे रही थी....
"अनुराधा मै बहुत खुश हूं.. तुमने मुझे जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी... अब देखना अपने बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा...और तुम अपना ध्यान रखो मैंने तुम्हारी मां को बुला लिया है,, वो आती ही होगी..."
कदमो की आवाज से मीरा फिर से छिप जाती है... कमरे के बाहर वोही आदमी था, जो आरव की तरह दिख रहा था... पीछे पीछे पायल की छुन छुन करते अनुराधा भी बाहर आती है...
आप रूकिए में देखती हूं, कौन है... ( अनुराधा ने कहा)
मीरा उसका चेहरा देखने की कोशिश कर रही थी... पर वो अब भी घुंघट की वजह से नहीं देख पा रही थी...
नीचे एक औरत की आवाज आती है....अब मै आ गई हुं न, अब आप अनुराधा की चिंता मत करिए अनुराग जी... मै इसका ध्यान अच्छे से रखूंगी...
जी मां अब मुझे कोई चिंता नहीं है...
मीरा सब कुछ उपर से सुन रही थी.. सारी बातें वैसी ही हो रही थी, जैसे आज मीरा की मम्मी के आने पर हुई.... इन सारी बातों से मीरा इतना समझ चुकी थी, कि ये सारी चीजें जुडी हुई हैं....
किसी के आने की आहट से मीरा एक कमरे में जाकर छिप जाती है...
ये कमरा तो हमारा स्टडी रूम है.. मीरा मन ही मन सोचती है,
पूरा कमरा पेंटिंग्स से भरा हुआ था... सुंदर सुंदर पेंटिंग्स... हर किसी पेंटिंग के नीचे अनुराधा लिखा हुआ था...
मीरा की नजर टेबल पर पड़ी , एक डायरी पर जाती है... मीरा डायरी उठाकर खोलकर देखती है.... जिसमें लिखा होता है... अनुराधा एक अधूरी कहानी.......!!!!!
आखिर क्या लिखा होगा उस डायरी पर... और मीरा का क्या कनेक्शन है, इस टाइम लाइन से, और यहां भी सेम सारी बातें वैसी ही क्यूं हो रही है???
जानने के लिए अगला पार्ट जरूर पढ़ें......!!!!