कहानी के पिछले भाग में देखा कि जब मीरा पास्ट में ग ई थीं, तब उसे एक डायरी मिली थी...
मीरा ने डायरी को पढ़ना शुरू ही किया कि उसे डायरी से एक तस्वीर मिली वो तस्वीर थी, अनुराधा कि, और अनुराधा कि शक्ल हु-ब-हू मीरा से मिलती है....
अब आगे....
रात को 8 बजे आरव ऑफिस से घर वापस आता है,
मीरा थोडी सी कंफ्यूज लग रही थी...
आरव : क्या हुआ मीरा??
मीरा : कुछ भी तो नहीं, तुम बताओ कैसा रहा दिन.??
आरव: बहुत बुरा,. बहुत काम था आज.. तुम बताओ क्या क्या किया आज... सिर्फ मां के साथ बाते ही कि या मेडिसिन भी ली...
मीरा: मम्मी तो शाम को घर वापस चली गई...
आरव : क्यूं???, मैंने उन्हें तुम्हारा ख्याल रखने के लिए बुलाया था, और वो इतने जल्दी चली गई...
मीरा : वो तो नहीं जाना चाहती थी, मैंने ही उन्हें जाने दिया, वो क्या है, पापा कि तबियत थोड़ी खराब हो गई है, और तुम तो जानते ही हो वो हार्ट पैशैंट है, इसलिए मैंने उन्हे जाने दिया... वैसे भी मैं बिल्कुल ठीक हूं...
आरव : हमममम ...ठीक किया उनका वहां होना ज्यादा जरूरी है....
वैसे मीरा एक गुड न्यूज़ है, हाउस नं 104 मै कोई रहने आया है... मै अभी आ रहा था, तो मैंने देखा कि सामान शिफ्ट हो रहा है...
मीरा : अरे वाह... ये तो बहुत अच्छी बात है, हमें कंपनी मिल जाएगी....
आरव : सुबह हम मिलने चलते हैं, उनसे पता तो चले कैसे लोग हैं, दोस्त बनाने लायक है, या नहीं...
( रात 1 बजे मीरा बस इंतजार कर रही थी, कि जैसे ही 3: 30 बजेगे और वो फिर से पास्ट में जायेगी, और अनुराधा के बारे में ओर बातें जान पायेंगी.... इस तस्वीर ने मीरा को और भी बैचेन कर दिया था...)
पर बीच में मीरा को नींद लग गई...
तभी उसने अपने कानों में कुछ फुसफुसाने की आवाज सुनी... उठो मीरा मैंने तुम्हें देख लिया है,
इस आवाज से मीरा घबरा कर उठी पर वहां कोई नहीं था... मीरा ने समय चेक किया 3:20 मिनट हो चुके थे, पर अब तक मीरा को कोई भी टेलीफोन बजने की आवाज नहीं आई थी, मीरा कमरे से बाहर निकल कर बाहर आई... और नीचे जाने लगी...
इस बार वो अनुराधा को देखने के लिए क्रियोस थी... वो अब घडी के सामने आकर खड़ी हो गई इस बार भी हमेशा की तरह टेलीफोन तीन बार बजा...और फिर से सबकुछ बदलने लगा...
थोड़ी देर बाद मीरा ने अपने आप को एक अंधेरे कमरे में देखा,
ये क्या हैं, क्या ये घर की कोई जगह है, या फिर मै कहीं ओर आ गई हूं, मीरा धीरे धीरे आगे बढती है, ये तो तहखाना है, मैंने ये पहले क्यूं नहीं देखा?? ( मीरा अपने आप से बातें करती है)
हां शायद रमेश जी ने बताया था कि पीछे के कमरे की ओर तहखाना है, पर वहां बहुत सारे चूहे है, पर मै यहां कभी नहीं आई...
वो इतना सोच ही रही थी कि, पायल की आवाज आती है, मीरा परदे के पीछे छिप जाती है,
अब अनुराधा कमरे में आ चुकी थी, अनुराधा ने कमरे की लाईट जलाई... इस बार अनुराधा ने घुंघट नहीं ले रखा था, जिस वजह से उसका चेहरा साफ दिखाई दे रहा था,
लंबे बाल साडी एकदम परफेक्ट बंधी हुई..और थोड़ी बड़ी सी बिंदी मांग में सिंदूर लगा हुआ... मीरा अपने आप को अनुराधा के रुप में देखकर बिल्कुल शाॅक्ड हो चुकी थी... क ई बार तो उसके मन मे आया कि वो जाके अनुराधा से मिले पर डर की वजह से मीरा चुपचाप खड़ी रही....
अनुराधा अपने आप को कमरे में लगे बडे मिरर के सामने देखकर अपने आप से बातें कर रही थी... बस यही एक कमरा है, जहां मै खुल कर रहे सकती हुं, बिना किसी घुंघट और बिना किसी डर के.... ये अनुराग की वजह से मैंने तो जैसे जीना ही छोड़ दिया है... मुझे नफरत है, उससे...
पर तुम्हारी वजह से मै सबकुछ सह रही हूं, अनुराधा ने अपने पेट पर हाथ सहलाते हुए कहा...
अनुराधा की बातो से मीरा इतना तो समझ चुकी थी, कि अनुराधा अनुराग से नफरत करती है, पर
सिर्फ वो किसी तरह रिश्ता निभा रही हैं, अपने बच्चे के लिए....
तभी अनुराधा टेबल पर रखे टेलीफोन से किसी को फोन लगाती है,
अनुराधा: वासू मै अनु बोल रही हूं... कल अनुराग बाहर जा रहा है, और देर रात तक आयेगा, मुझे तुमसे मिलना है, क्या तुम आ सकते हों??
क्योंकि मीरा सिर्फ अनुराधा कि आवाज सुन पा रही थी, फिर भी अनुराधा के हाव-भाव से वो समझ चुकी थी,कि वासू कल मिलने आ रहा है,
तभी अनुराधा खुश होकर कमरे से बाहर जाने लगती है... पर जैसे ही उसने लाइट बंद की मीरा टेबल से टकरा गई... इस आवाज से अनुराधा थोड़ा डर गई... पर शायद चूहा होगा सोचकर वो बाहर चली गई..
मीरा भी अनुराधा के साथ बाहर आती है, बाहर मीरा देखती है कि, एक औरत चिल्ला रही है, अनुराधा बाहर आती है,
क्यूं डांट रही है, आप उसे ( अनुराधा ने कहा)
देखो न अनुराधा ये बिना बताए यहां चली आई, और मैंने इसे कहां कहां नहीं ढूंढा ( उस औरत ने कहा)
ऐसा कोई करता है, भला मैंने तुमसे कहा है न नियती यहां आने से पहले अपनी मां को बताकर आया करो ( अनुराधा ने प्यार से समझा कर कहा)
नियती की नजर एक फिर से मीरा की तरफ पड़ती है, पर मीरा किसी तरह वहां से निकल जाती है...
अगले दिन सुबह... जब मीरा की आंखें खुलती हैं, तो वो अपने आप को ड्राइंग रूम में देखती है... सुबह के 6 बज चुके हैं, आरव अब भी सो रहा था, मीरा भी कमरे में जाकर आरव के बाजू सो ग ई.....
थोड़े देर बाद आरव ने मीरा को जगाया.....
चलो हमें हमारे नये पड़ोसी से मिलने नहीं जाना है...??
हां तुम नीचे जाऊं मै फ्रेश होकर आती हूं...
उन्होंने डोरबेल बजाई...
हेलो हम यही 105 मे रहते है, मै आरव और ये मेरी वाइफ मीरा ...
हैलो जी आप लोग अंदर आइये न... ( दरवाजे मे खडे आदमी ने उन्हें अंदर बुलाते हुए कहा)
दिशा जल्दी बाहर आओ देखो कोई मिलने आया है,
दिशा बाहर आई....
ये मेरी वाइफ दिशा है, और मै शेखर शर्मा ...
हम लोग कल ही शिफ्ट हुए हैं...
आप लोग वो पुराने घर में रहते हैं?? ( दिशा ने पुछा)
जी हम लोग वहीं रहते हैं... ( आरव ने कहा)
वो घर तो काफी पुराना लगता है... ( शेखर ने कहा)
जी हां वो घर काफी पुराना है, पर मीरा को एक बड़ा सा घर चाहिए था, इसलिए मैंने उसे खरीदा...( आरव ने कहा)
आप दोनों ही वहां रहते हैं?? ( दिशा ने पुछा)
जी हम दोनों ही रहते हैं, छः महीने ही हुए है, हमारी शादी को और करीब पंद्रह दिन ही हुए हैं , हमें यहां आये हुए ( मीरा ने कहा)
आप लोग भी दो ही लोग हैं?? ( मीरा ने पुछा)
नहीं हमारी बेटी भी है छः साल की वो यही खेल रही थी ( दिशा ने कहा)
पीहु जल्दी बाहर आओ बेटा देखो हमसे कोई मिलने आया है....( दिशा ने आवाज लगाई)
एक छोटी बच्ची दौड कर आई... उसने मीरा और आरव को हैलो कहा...
पर मीरा उसे देखकर बहुत डर चुकी थी...
मीरा डर के कारण वहां से भागकर घर आ जाती है ......
To be continue.....