*अदाकारा 19*
"पापा। मम्मी मुझे आप दोनों से कुछ कहना है।"
पुणे से अंधेरी साकीनाका स्थित अपने घर आई उर्मिला ने डरते हुए अपने माता-पिता से कहा।
माँ तो आखिर मां होती हे।मांने उर्मिला के स्वर में छिपे डर को साफ़ साफ़ समझ लिया था।उसके सीने में एक टीस सी उठी।इक शंका भी उसके मन मे जगी कि मेरी प्यारी बेटी को क्या हुवा होगा?धड़कते दिल से उसने उर्मिला के कंधे पर हाथ रखा और पूछा।
"क्या बात है उर्मि?तुम इतनी डरी हुई क्यों हो?"
जवाब में उर्मिला ने अपना सिर नीचे झुका लिया।
"बताओ ना बेटा क्या बात है?"
इस बार उसके पिता ने ज़ोर देते हुए पूछा।
पहले तो उर्मिलाने अपने सीने में गहरी साँस लेकर खुद को कंफर्टेबल किया।आँखें बंद करके उसने अपने दिल में हिम्मत जुटाई।और फिर काँपती आवाज़ में बोली।
"में….में"
में में कहते ही उसकी हिम्मत टूट गई।उसके होठों से आगे एक भी शब्द निकल नहीं पाए। उसकी माँ मुनमुन के चेहरे पर डर की लकीरें उभर आईं थी।उसकी आँखों में आँसू आ गए।
"उर्मि।मेरा दिल बैठ रहा है।जल्दी बताओ,तुम्हें क्या हुवा है?"
"मैं पुणे में एक लड़के से प्यार करती हूँ?"
ऊपर वाला वाक्य एक ही साँस में कहते हुए उर्मिला दोनों हथेलियों में चेहरा छिपाकर रोने लगी।
उर्मिला के पिता उत्तम और उसकी माँ मुनमुन स्तब्ध होकर एक-दूसरे का चेहरा देखते रह गए।मुनमुन और उत्तम उर्मिला को अब तक एक छोटी बच्ची समझते थे।और उस छोटी बच्ची ने एक लड़के के प्यार में गीरकर बड़ा धमाका कर दिया था।
उसने उन दोनों को अपने प्यार की बात सुनाकर ये समझाया दिया कि अब वह छोटी बच्ची नहीं रही बल्कि एक जवान युवती बन गई है।
मेरी बेटी ने इस प्यार के नाम पर कोई गलत कदम तो नहीं उठाया होगा?क्या उसने प्यार में अपनी हदें पार तो नहीं की होगी?स्वाभाविक रूप से हर जवान बेटी के माता-पिता के मन मे उठने वाला सवाल मुनमुन और उत्तम के मन में भी आया।
"प्यार के नाम पर तुने कितनी हद पार की हे उर्मी?तुने क्या क्या किया हे उस लड़के के साथ?"
मुनमुनने उर्मिला के दोनों कंधो को पकड़कर उसे झंझोड़ते हुए पूछा।
"हम दोनों एक-दूसरे से दिल से प्यार करते हैं, मम्मी।हमने तो बस एक-दूसरे के केवल हाथ ही छुए हैं।"
उर्मिला समझ गई थी कि उसकी माँ उससे क्या पूछना चाहती है इसलिए उसने धीमी आवाज़ में माँ के सवाल का जवाब दिया। और जिस तरह उर्मिलाने अपनी माँ की आँखों में देखकर आत्मविश्वास से जवाब दिया था मुनमुन और उत्तम दोनों को यकीन हो गया कि हमारी बेटी को किसी से प्यार जरूर हो गया है।लेकिन उनकी बेटी ने प्यार में अंधी होकर कोई सीमाए नहीं लांघी हे।
अब वह काफी बड़ी हो चुकी थी।इसलिए इस उम्र में किसके के प्रति आकर्षण होना तो स्वाभाविक है।इसलिए अब उत्तम ने बातचीत की डोर अपने हाथ में ले ली।
उसने पूछा।
"बेटा।वह लड़का कौन है और उसकी जाति क्या है?"
"उसका नाम सुनील है पापा। ओर मुझे उसकी जाति नहीं पता लेकिन वह महाराष्ट्रीयन है।"
"बेटा,वो महाराष्ट्रीयन है और हम बंगाली।तुम दोनों की भाषा में ही बहुत फ़र्क़ है,तो ज़िंदगी भर कैसे उसके साथ निभाओगी?"
उत्तमने उर्मिला से यह सवाल पूछा।
लेकिन उर्मिला के जवाब देने से पहले ही मुनमुन ने अपना आखरी फ़ैसला सुना दिया।
"मुझे ये रिश्ता कभी भी मंज़ूर नहीं होगा।तो उर्मिला।तुम्हारी पढ़ाई भी यहीं पूरी हो जाती है।अब तुम्हें यहीं रहकर कोई नौकरी ढूँढ़ लेनी चाहिए।तुम्हारे पापा पुणे जाकर तुम्हारा सामान ले आएँगे।"
"लेकिन मम्मी मेरा कहना ये है कि...."
उर्मिला कुछ कहना चाहती थी।लेकिन मुनमुन ने आँखें चौड़ी करके कहा।
"बस करो उर्मिला।मैं तुम्हारी कोई भी दलील नहीं सुनना चाहती।तुम्हें पुणे कॉलेज में पढ़ने भेजा गया था प्रेमशास्त्र पढ़ने नहीं।"
अपनी माँ का अटल फ़ैसला सुनकर उर्मिला चुप हो गई।उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
उसने रोते हुए ये कहा।
"मम्मी पापा।मैं आपके खिलाफ कभी नहीं जाऊँगी।आपका जो भी फैसला होगा,मैं उसे स्वीकार करूँगी।।मुझे विश्वास है कि तुम्हारा फैसला मेरे लिए सही होगा।मेरे भले के लिए होगा।"
यह कहकर वह अपने कमरे में दौड़ गई।
(क्या सुनील और उर्मिला का प्यार खत्म होगा?क्या वे मिलेंगे?पढ़ते रहिए अदाकारा)