Adakaar - 33 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 33

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अदाकारा - 33

*अदाकारा 33*

   फ़िल्म *हो गए बरबाद*के सेट पर शर्मिला पहुंच गई थी।आज इस फिल्म का पहला सीन आज शूट हो रहा था।फ़िल्म का हीरो रंजन देव था जो निर्माता जयदेव का बेटा था।यह उसकी इंटरड्यूसिंग फ़िल्म थी।इसलिए वो थोडा सा नर्वस लग रहा था।
सीन में रंजन रूठी हुई शर्मिला को तरह-तरह से मनाने की कोशिश कर रहा हैं।कभी अपनी उंगली से उसकी पीठ थपथपाते हैं।कभी उनके पैरों मे गिरकर लोटते हैं। वहा एक छोटा सा मज़ेदार रोमांटिक सीन करना था।लेकिन निर्देशक जैसा सीन चाहते थे,वैसा बन नहीं रहा था।रंजन देव के चेहरे पर वो रोमेंटिक ओर मज़ेदार भाव आ नहीं रहे थे।वो एक्टिंग करने की कोशिश तो कर रहा था लेकिन उनका चेहरा बिल्कुल सीधा और सपाट लग रहा था।इसलिए उसे बार-बार रीटेक लेने पड रहे थे।उस छोटे से सिन के लिए ग्यारह रीटेक के बाद भी जब सीन ठीक नहीं हुआ तो शर्मिला अपना आपा खो बैठीं।
और निर्देशक से कहा।
"अरे कैसे कैसे कलाकार को पकड़ लाते हो? जो एक सिंपल सा सीन भी शूट नहीं कर सकता।"
रंजनदेव निर्माता का बेटा था।इसलिए मल्होत्रा उससे कुछ कह भी नहीं सकता था।और न ही उन्से फ़िल्म से निकाल सकता था।इसलिए उसने शर्मिला से विनती भरे लहजे में कहा।
"मैडम आप थक गई होंगी।थोड़ा आराम कर लीजिए।वो क्या है रंजनभाई का आज पहला दिन है इसलिए थोड़ी सी मुश्किल हो रही है...."
"थोड़ी मुश्किल?क्या ये थोड़ी है?"
यह कहकर वह आराम करने के लिए अपने मेकअप रूम में चली गईं।वह अभी कुर्सी पर बैठी ही थीं के तभी उसका फ़ोन बज उठा।
"मेतो दीवानी हो गई"
"प्यार तेरे खो गई"
उसने स्क्रीन पर जयसूर्या का नाम देखा।उसने मुँह सिकोड़ते हुए फ़ोन उठा लिया।
"नमस्ते।"
शर्मिला की आवाज कानमें पड़ते ही जयसूर्या के मुँह से लार टपक पड़ी।
होंठों पर जीभ फेरते हुए उसने कहा।
"कैसी हो मैडम?"
"मै तो बहुत मजे से हु।क्या आपको कुछ खास काम था?"
उसने रूखी आवाज़ में पूछा।
"आपने कहा था कि संपर्क में रहें।आते रहें। मिलते रहें।फ़ोन करते रहें।"

"ठीक है!लेकिन मैं अभी शूटिंग में व्यस्त हूँ। रात को बात करते हैं?"
"मैडम।मुझे कुछ ज़रूरी और आपके फ़ायदे के बारे में बात करनी थी।"
जयसूर्या ने सस्पेंस बढ़ाते हुए कहा।
"अच्छा?"
फ़ायदे की बात सुनकर शर्मिला की आँखें थोड़ी चौड़ी हो गईं।लेकिन अपनी जिज्ञासा पर काबू पाते हुए,उसने कहा।
"मैं उस फ़ायदे के बारे मे सुनने के लिए तैयार हूँ।श्रीमान जयसूर्या।लेकिन माफ़ कीजिए।मैं अभी नहीं सुन सकती।शूटिंग खत्म होने के बाद मैं आपको फ़ोन करूँगी?"
"ठीक हे।लेकिन भूलना मत।अगर आप भूल गईं,तो आपका ही नुकसान होगा।"
जयसूर्या ने शर्मिला को चेतावनी देकर फ़ोन रख दिया।
और अब शर्मिला सचमुच सोचने के लिए मजबूर थी की जयसूर्या के पास में ऐसा क्या था कि उनकी बात न सुनकर मुझे नुकसान होगा?उसके पेट में एक अजीब सी हलचल होने लगी।उसे ऐसा लगने लगा कि यह कोई खास जरूरी बात है जो उसे जल्द से जल्द जाननी चाहिए।वह रात तक सब्र नहीं रख सकती।उसने तुरंत जयसूर्या को कॉल बेक किया।
"कहो क्या कहना चाहते हो?"
लेकिन जयसूर्या इस काम की बात के बहाने शर्मिला से रूबरू मिलना भी चाहता था। इसलिए वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।उसने और सस्पेंस क्रिएट करते हुए कहा।
"मैडम,ऐसी बात फ़ोन पर नहीं हो सकती। मुझे आपको रूबरू मिल कर ये बात समझानी होगी।"
जयसूर्या की बात सुनकर शर्मिला दाँत पीस कर मन ही मन बुदबुदाई।
"में जानती हूं बूढ़े की नियत में खोट है ओर उसकी मंशा क्या है।फिर भी पता तो लगाना ही चाहिए ना कि बात है क्या?"
"ठीक है मैं रात को फ़ोन करती हु।"
यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
"भैया बिलकुल नर्वस मत रहो।बिना किसी डर के शूट करो।अगर इतने छोटे-छोटे सीन में इतने रीटेक करने पड़ेंगे तो हमारी फ़िल्म कब पूरी होगी?"
मल्होत्राने रंजन को समझाया।
"और ध्यान रखो कि यह एक महिला-केंद्रित फिल्म है।पूरी फिल्म का भार शर्मिला के कंधो पर है।और उसे बार-बार रीटेक पसंद नहीं। ऐसा न हो कि वे परेशान होकर फिल्म छोड़ दें।"
"वे आखिर फिल्म क्यों छोड़ेंगी।"
रंजनने सख्त लहजे से कहा।
"उसने कॉन्ट्रैक्ट साइन कीया है।उसने साइनिंग अमाउंट भी तो लिया है।"
"तुम उसे अभी तक नहीं जानते।हमारी साइनिंग अमाउंट वो हमारे मुँह पर मार सकती है।समज़े?"
मल्होत्राने शर्मिला का कैसा मिजाज है वो समझाते हुए कहा।
लेकिन रंजन यह साबित करना चाहता था कि वह निर्माता का बेटा है।वह अति आत्मविश्वास के साथ सीना तान कर बोला।
"बहुत जल्द उसका मिजाज़ उसका अहंकार और उसकी मचलती जवानी मेरी बाहों में तुम पिघलते हुवे देखोगे मल्होत्रा अंकल।तुम देखते रहो मैं उसे कैसे और कितनी जल्दी अपने वश में कर लेता हूँ।"

(क्या रंजन देव शर्मिला को अपने प्रेम जाल में फँसाने में कामयाब होंगा? पढ़िए अगले एपिसोड में)