*अदाकारा 35*
"मैं पैसों के साथ नहीं तुम्हारे साथ नहाना चाहता हूँ।"
जयसूर्या की बात सुनकर शर्मिला को मनमें गुस्सा तो बहुत आया।लेकिन उसके पास अपने गुस्से पर काबू पाने के अलावा कोई चारा नहीं था।क्योंकि वह यह भी जानना चाहती थी कि जयसूर्या के पास उसके फायदे की कौनसी चीज़ है?।
पहले तो उसने चालाकी से जयसूर्या को पता ना चले इस तरह अपने मोबाइल से रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।और फिर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए शरारती लहजे में बोली।
"धत्त!नोटिमेन।क्या तुम्हें पता है कि मैं ठंडे पानी से शावर लेती हु?अगर तुम मेरे साथ नहाओगे तो तुम ठंड से सिकुड़ जाओगे।"
लेकिन जयसूर्या अब पुरी तरह से खिल उठा था।
"पानी ठंडा है तो क्या हुआ?तेरा बदन तो हॉट है ना?तेरे शरीर की गर्मी मिलेगी तो इक्वल हो जायेगा।"
अब तक जयसूर्या शर्मिला को "तुम" कहकर बुलाता था।अब वह तु कहने लगा।
शर्मिलाने बनावटी धमकी देते हुए कहा।
"अगर तुम्हारी इस आवारा गर्दी की बात तुम्हारी पत्नी को बताई जाए तो?"
"तो क्या?हो सकता है कि वह मुझे घर से निकाल दे।"
जयसूर्याने हल्की मुस्कान के साथ एकदम ठंडे लहजे में कहा।
"याने तुम रोड पर आजाओगे"
"रोड पर?वो क्यों"
कांस्टेबल ने आँखें सिकोड़ते हुए पूछा।
"तो फिर तुम कहाँ जाओगे?"
जयसूर्या ने धूर्त मुस्कान के साथ कहा।
"अपना बोरिया बिस्तर लेकर सीधे तेरे घर आ जाऊंगा।"
"ठीक है।और अगर मैंने तुम्हारे इंस्पेक्टर को यह सब बता दिया तो?"
"तो,तो मेरी नौकरी जा सकती है।लेकिन फिर मैं तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊँगा जो मैं करना चाहता हूँ।"
जयसूर्या ने यह वाक्य पूरा किया। वैसे ही
शर्मिला बोली।
"अरे,हा लेकिन तुम जो कहने के लिए आए थे वह बात तो अपनी मज़ाक मस्ती में रह गई।वो क्या थी मेरे फायदे की बात?"
"तु जो भी कार्य करो वो सावधानी से करना।"
"क्यों?"
शर्मिला ने आश्चर्य से पूछा।
"साहबने तुझ पर निगरानी के लिए एक जासूस रखा है।"
शर्मिला का आश्चर्य अब दोगुना हो गया।वह लगभग उछल पड़ी और बोली।
"ओह नो!लेकिन क्यों?"
"तुने सर से यह कहा था ना कि तुम्हें कोई गैरकानूनी काम करवाना है।"
जयसूर्याने समझाया।लेकिन शर्मिला गुस्से से बोली।
"अरे,मैंने तो वो सिर्फ मज़ाक में ही कहा था।"
"लेकिन सरने ऊसे गंभीरता से ले लिया है। क्योंकि पहले भी तु ड्रग्स के साथ पकड़े गई थीं।और अब तूने कोई गैरकानूनी काम करने की बात कही।तो सर कह रहे थे कि पहली बार पकड़े जाने पर ही आपके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी।"
शर्मिला ने गहरी साँस ली।
"इस आदमी के साथ मज़ाक करना भी गुनाह है।"
"क्या तुने सच में मज़ाक किया था?"
जयसूर्या ने पूछा।
"ओर नही तो क्या मुझे अपना अच्छा खासा केरियर छोड़कर गलत काम करने चाहिए?"
"ठीक है।लेकिन मुझे लगा कि मुझे आपको इस जासूस के बारे में बताना चाहिए सो इसलिए मैंने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए आपको यह बता दिया।"
"शुक्रिया।"
शर्मिला ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा। लेकिन जयसूर्या को उससे धन्यवाद नहीं पर कुछ और चाहये था।उसने शर्मिला के उभरे हुवे सीने की ओर वासना भरी नज़रें डालते हुए कहा।
"मैडम।सिर्फ़ धन्यवाद सुनने के लिए मैंने अपने फ़र्ज़ से गद्दारी नहीं की हे।"
शर्मिला समझ गई थी कि जयसूर्या उससे क्या चाहता हैं।फिर भी उसने ऐसे पूछा जैसे उसे कुछ पता ही न हो।
"तो फिर किस लिए?"
"तेरे ये खूबसूरत ओर मुलायम शरीर के आकर्षण से वशीभूत होकर मैंने अपनी ड्यूटी से विश्वासघात किया है।"
"अच्छा?तो एक दिन आपकी इच्छा अवश्य पूरी होगी।"
शर्मिलाने आशीर्वाद देते हुए अपनी दाहिनी हथेली जयसूर्या को दिखाते हुए कहा।
"लेकिन कब?"
जयसूर्याने अधीर हो कर पूछा।
शर्मिलाने जयसूर्या की नज़रें से छुपकर मोबाइल पर जो बातचीत रिकॉर्ड हो रही थी उसे पहले बंद किया।
फिर उसने विक्टोरिया नंबर 203 गाना गाया।
"थोड़ा सा ठहरो
करती हु तुमसे वादा
पूरा होगा तुम्हारा इरादा
में हु सारी की सारी तुम्हारी
फिर काहेको जल्दी करो।
जयसूर्याने पहले तो शर्मिला का चुलबुला सा गाना शांति से सुन लिया।लेकिन जैसे गाना खत्म हुआ वो शर्मिला की ओर बढा और बोला।
"मुझसे अब और नहीं रुका नही जाता रानी।"
शर्मिलाने हाथ के इशारे से उसे रोकते हुए पूछा।
"वह जासूस कौन है?"
जयसूर्या ठंडी आह भरते हुए अपनी जगह पर रुक गया।उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और सखाराम पाटिल की तस्वीर शर्मिला को दिखाई।
"वह सामने बस स्टॉप के पास अंगूर का ठेला लिए खड़ा है।"
शर्मिलाने पाटिल की तस्वीर को ध्यान से देखा।फिर उस फोटो को अपने मोबाइल मे कैप्चर कर लिया।
"अब आप जाइए जयसूर्याजी।मैं अपना ख्याल रखूँगी।"
शर्मिलाने जाने के लिए कहा।तो जयसूर्या निराश स्वर में बोला।
"बस ऐसे ही?"
जयसूर्या को निराश देखकर शर्मिला उसके बिलकुल करीब आकर खड़ी हो गईं।
(क्या शर्मिला जयसूर्या की इच्छा पूरी करेंगी? या उसे यूंही बहकाती रहेगी? जानने के लिए पढ़े अगले एपिसोड में)