Adakaar - 42 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 42

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अदाकारा - 42

*अदाकारा 42*

 
     घर में प्रवेश करते ही शर्मिलाने उर्मिलासे कहा।
"देखो उर्मि।यह है इस नाचीज़ का गरीब खाना।"
 
उर्मिलाने घर में चारों ओर अपनी निगाहें फिराई।यह दो बेडरूम का आलिशान फ्लैट था।साफ सुथरा और उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया था।छत पर एक सुंदर झूम्मर भी लटका हुआ था।
"बहुत बढ़िया है यार।तु तो सारा दिन शूटिंग में व्यस्त रहती होंगी।फिरभी घर को इतनी अच्छी तरह मेंटेन रखती हो कैसे कर पाती हो सब?"
उर्मिला के प्रश्न के उत्तर में शर्मिलाने हंसते हुए कहा।
"हमें कहां कुछ करना है?बस नौकरानी को निर्देश दे दो।बस वही बिचारी सब कुछ कर लेती है।अब बताओ क्या खाना है?"
"चाइनीज़ ऑर्डर करो।"
उर्मिला के आदेशानुसार शर्मिलाने फायरबॉल रेस्टोरेंट से ऑर्डर किया।और फिर बोलीं।
"जीजू टूर पर जब जाते हैं तो वह रिटर्न टिकट पहले ही बुक कर लेते होंगे है ना?"
"हाँ।बिल्कुल।"
 
"तो अब की बार मुझे बताना कि वो कब की रिटर्न टिकट बुक करते है।फिर हम उसी हिसाब से शूटिंग का इंतज़ाम करेंगे।"
शर्मिलाने रिटर्न के टिकट के बारे में बात की।तो उर्मिलाने पूछा।
"रिटर्न के हिसाब से क्यों?अगर हम शूटिंग उनके जाने के समय के हिसाब से रखें तो हमें ज़्यादा वक्त मिल सकता हे।"
उर्मिला का सवाल सुनकर शर्मिलाने उसे समझाया।
"एड की शूटिंग या ने एक या दो दिन का काम है ज़्यादा से ज़्यादा दो दिन का।और समझ लो अगर हमने शूटिंग की तारीख जीजू के जाने के हिसाब से ली और किसी कारण वश जीजू का दौरा रद्द हो जाता है तो हमें शूटिंग का शेड्यूल भी बदलना पड़ेगा।और फिर कंपनी को भी हमारी वजह से नुकसान होगा।उनकी सारी तैयारियाँ धरी की धरी रह जाएँगी।और अगर हम शूटिंग की तारीख जीजू के आने के हिसाब से रखेंगे तो अगर जीजू का जाना टल भी गया तो क्या होगा?हमारे पास शूटिंग रद्द करने के लिए पाँच-छह दिन हैं।तो कंपनी वालों ने अभी तक तैयारी नहीं की होगी तो उन्हें भी कोई नुकसान नहीं होगा ओर वो कोई आपत्ति भी नहीं उठाएंगे?"
"वाह भई।तेरा दिमाग तो बहुत तेज़ दौड़ता है।"
उर्मिलाने शर्मिला की तारीफ़ करते हुए कहा।
उर्मिला के मुंह से अपनी तारीफ़ सुनकर शर्मिलाने भी मुस्कुराते हुवे कहा।
"अगर इंडस्ट्री में टिके रहना है तो ऐसा ही दिमाग़ चाहिए।"
फ़ायरबॉल से ऑर्डर किया हुआ चाइनीज़ खाना आ गया।जिसे दोनों बहनोंने खा लीया।
खाने के बाद उर्मिलाने बीदा लेते हुवे कहा।
"अब मैं चलती हूँ शर्मि।"
यह कहकर उसने अपना पर्स हाथ में ले लिया।
शर्मिलाने उसे फिर से निर्देश दिए।
"जीजू के टूर की तारीख़ याद से बता देना और दूसरी बात जब भी शूटिंग पर जाना हो, तो पहले बुर्का पहनकर तुझे यहाँ आना है। और यही पर तुझे उर्मिला का चोला उतारकर मेरी गाड़ी से शर्मिला बनकर शूटिंग पर जाना है ठीक है।"
"हाँ।हाँ ठीक है।में सब समझ गई चलो।गुड नाइट।"
बुर्का पहनकर उर्मिला अपने घर की और चल दी।
 
 *हो गए बर्बाद* 
फ़िल्म की शूटिंग बिना किसी रुकावट के तेज़ी से चल रही थी।फ़िल्म का पचास प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा तैयार हो चुका था।रंजन और शर्मिला धीरे-धीरे आपस मे दोस्त बन रहे थे। अक्सर दोनों सेट पर साथ ही में लंच करते थे। कभीकभी एक-दो घंटे की शूटिंग के बाद हल्का-फुल्का वे नाश्ता मँगवा लेते या कॉफ़ी पी लेते।कभी-कभी खाली समय में चुटकुलों या कविताओं की महफ़िल जमा लेते।
ओर इस दौरान रंजन की नज़रें शर्मिला के बदन पर ही फिसलती रहती थी।वह मन ही मन सोचता रहता कि यह गुलाबी बदन शूटिंग के दौरान तो अबतक आठ-दस बार मेरी बाँहों में आ ही चुका है।मैंने इसके साथ रोमांस का अभिनय तो किया है।पर अब इसके साथ प्यार का वो खेल हकीकतमे कब होगा?कब मैं सचमुच इसके मीठे होंठों का स्वाद ले पाऊँगा। कब मुझे एकांत में इसके इस मुलायम बदन का आनंद लेने का मौका मिलेगा।कब आखिर कब?
अब उसका धैर्य जवाब दे रहा था।अब वह शर्मिला को पाने के लिए बेतहाशा बेताब ओर बेकाबू हो रहा था।वह शर्मिला को जल्द से जल्द पा लेना चाहता था।फिल्म आधी से ज़्यादा तैयार हो चुकी थी।अगर वह बचे हुए समय में कुछ नहीं कर पाया और फिल्म पूरी हो गई तो उसे पाना नामुमकिन हो जाएगा। उसे लग रहा था कि अब उसे शर्मिला को पाने के लिए जी जान से कोशिश करनी होगी।उसे थोड़ा जोखिम भी उठाना होगा।उसे दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ना होगा।
 
(क्या रंजन शर्मिला से अपनी दोस्ती को प्यार में बदल पाएगा?क्या शर्मिला को पाने का उसका सपना पूरा होगा?)