Adhuri Kitaab - 27 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 27

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अधुरी खिताब - 27

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🕯️ एपिसोड 27 — “भूला हुआ लेखक”

(कहानी: अधूरी किताब)


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1. रात की ख़ामोशी

दिल्ली की वो ठंडी रात...
घड़ी में बारह बजने वाले थे, जब रियान कपूर अपने कमरे की लाइट बंद कर रहा था।
किताब की अलमारी के पास अचानक से हल्की सी आवाज़ हुई —
जैसे किसी ने अंदर से दरवाज़े पर थपकी दी हो।

उसका दिल धड़क उठा।
वो धीरे-धीरे आगे बढ़ा।
अलमारी का शीशा धुंधला था… और उस धुंध में किसी का चेहरा झिलमिलाया —
एक अनजान आदमी का चेहरा।

वो फुसफुसाया,

> “तुम्हें मेरी अधूरी कहानी पूरी करनी है…”



रियान ने पीछे हटना चाहा, लेकिन पैर जैसे ज़मीन में धँस गए थे।
किताबें अपने-आप गिरने लगीं।
हर किताब के अंदर वही नाम लिखा था —

> “विक्रम राठौर – The Forgotten Author.”




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2. पुरानी डायरी का रहस्य

सुबह तक रियान को नींद नहीं आई।
उसने वही किताबें फिर खोलीं —
हर पन्ने में स्याही की गंध थी, लेकिन कुछ शब्द ऐसे थे जो जैसे किसी अदृश्य हाथ ने कल ही लिखे हों।

एक किताब के बीच में उसे एक पुरानी डायरी मिली।
कवर पर खून जैसा सूखा दाग़ और नीचे लिखा था —

> “मेरी कहानी किसी को पूरी नहीं करनी चाहिए।”



फिर भी रियान ने पढ़ना शुरू किया।

डायरी में लिखा था —

> “मैं, विक्रम राठौर, ने एक रूह से सौदा किया।
वो कहता था — अमरता चाहिए तो अपनी आत्मा को शब्दों में उतार दो।
मैंने लिखना शुरू किया, लेकिन जैसे-जैसे शब्द बढ़े… मेरी रूह मिटने लगी।”



रियान की उँगलियाँ काँप गईं।
पन्ना पलटते ही उसने देखा — आख़िरी पेज खाली था,
पर उस पर धीरे-धीरे शब्द उभरने लगे —

> “अब बारी तुम्हारी है, रियान।”




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3. आवाज़ें दीवारों में

रियान ने डायरी बंद की और कमरे में चारों ओर नज़र दौड़ाई।
दीवारों पर परछाइयाँ हिल रही थीं —
कोई चल रहा था, कोई हँस रहा था, कोई रो रहा था।

कमरे के कोने में रखा पुराना टाइपराइटर अपने आप चलने लगा।

> टिक… टिक… टिक…



उस पर कोई अदृश्य हाथ लिख रहा था —

> “भूला हुआ लेखक लौट आया है।”



रियान डर से पीछे हट गया, लेकिन उसकी परछाईं वहीं खड़ी रही —
और कुछ पल बाद, वही परछाईं उठकर उसके सामने आ गई।

> “मैं अधूरी किताब का लेखक हूँ,” उसने कहा,
“और अब मेरी कहानी तुम्हारे ज़रिए पूरी होगी।”




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4. अधूरी किताब का शाप

रियान ने हिम्मत जुटाकर पूछा —

> “तुम मुझसे क्या चाहते हो?”



विक्रम राठौर की रूह ने मुस्कराकर कहा —

> “मेरी किताब पूरी करो, तभी मैं मुक्त हो पाऊँगा।”



लेकिन जैसे ही रियान ने कलम उठाई,
स्याही की जगह काली धुँध निकली —
और उस धुँध ने पूरे कमरे को निगल लिया।

विक्रम की रूह बोली —

> “ये स्याही इंसान की नहीं, रूह की है।
एक बार तुमने इससे लिखा… तो तुम्हारा नाम भी मिट जाएगा।”



रियान का चेहरा पसीने से भीग गया।

> “अगर मैं नहीं लिखूँ तो?”



> “तो किताब खुद तुम्हें लिख लेगी…”




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5. अधूरी रात

घड़ी ने तीन बजने का संकेत दिया।
बाहर बिजली कड़की और खिड़की के शीशे टूट गए।
काले बादलों के बीच से वही रहस्यमयी किताब उभरी —
जो कभी अदिति राठौर ने जलाने की कोशिश की थी।

रियान ने उसे देखा —
कवर पर अब उसका नाम खुद-ब-खुद उभर चुका था —

> “Written by Riaan Kapoor.”



विक्रम की रूह धीरे से बोली —

> “कहानी कभी खत्म नहीं होती…
बस लेखक बदलते जाते हैं।”




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6. रूहों का पुनर्जन्म

अचानक, कमरे में और भी रूहें प्रकट हुईं —
अदिति राठौर, मीरा दास, अनामिका सेन…
हर चेहरा अधूरी कहानी के पन्नों से बना था।

अदिति ने कहा,

> “हम सबने इस किताब को मिटाना चाहा,
लेकिन हर बार कोई नया लेखक उसे जगा देता है।”



रियान ने काँपते हुए कहा,

> “तो क्या कोई अंत नहीं?”



मीरा ने जवाब दिया,

> “अंत तभी होगा जब कोई बिना डर के आख़िरी लाइन लिखे —
वो लाइन जो रूह को चुप कर दे।”



रियान ने कलम उठाई।
हवा में स्याही तैरने लगी।
उसने काँपते हाथों से लिखा —

> “कहानी खत्म नहीं होती जब तक डर ज़िंदा है।”



तुरंत हवाओं ने शोर मचा दिया।
रूहें एक-एक कर धुएँ में बदलने लगीं।
कमरा काँप उठा, लाइटें बुझ गईं।


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7. सवेरा और सन्नाटा

सुबह जब सूरज निकला,
रियान का कमरा खाली था।
न किताब… न टाइपराइटर… न स्याही।

बस दीवार पर एक वाक्य लिखा था —

> “हर किताब अपनी आख़िरी लाइन खुद लिखती है…”



और कमरे के कोने में,
एक अधूरी पन्ना रखा था —
जिस पर लिखा था:

> “The End — ?”

🕯️ एपिसोड 27 समाप्त