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मीडिया का आदमी जब भी बोलने के लिए अपना मुंह खोलता कनंत बीच में अपनी जुबान अड़ाता जिससे सभी झुंझला कर उसे घूरते हैं लेकिन आशना उसकी बक बक और बर्दास्त नही कर सकी और एक जोर दार घुसे के साथ उसका मुंह बंद कर दिया। अब आगे,,,,
"क्या ? क्या जानना चाहते हैं आप लोग ? मैं कु,, कुछ खास नहीं जानता वहा के बारे में" वो आदमी साफ झूठ बोल रहा था पर हमारे शातिर जासूसो की गैंग को बेवकूफ बनाने वाला महा बेवकूफ से कम नहीं उससे ज्यादा ही बेवकुफ हैं।
"चुप,,, तुझे क्या हम लोग दूसरी दुनिया के बेवकूफ
लगते है" भीनी गुस्से में भड़कते हुए उसे कॉलर से पकड़ बोली।
"क्या कर रही ? पहले ही वो आधा मरा हुआ है शांत रह" काशी उसे छुड़ाते हुए बोली।
"कभी तो डॉक्टर जैसा बिहेव कर लिया करो देखो (काशी की तरफ ऊंगली कर)देखो इसे तुम्हारी संगती का वायरस फैलते हुए एक इंसान को चपेट मे लें रही" कृभिन भीनी को घूरते हुए बोला।
उसकी बात सुन काशी और भीनी भी उसे वैसे ही घुरी तो कृभिन एक आह भर नजरे फेर लिया।
"अच्छा पहले ये बता तू बेहोश कैसे हुआ?" आशना ने सबकी बात इग्नोर कर भिनी को घूरते हुए सवाल किया।
"वो एक्चूली ये मैडम,,," बोलते हुए उस आदमी ने भीनी को देखा जो उसे ही डेंजर नजरो से घूर रही थीं। उस आदमी की आवाज गले में अटक गई।
"आगे बढ़ेगा या मुहूर्त निकलवाऊ" कनंत दात पिस्ते हुए बोला।
"लगता हैं उसे अटक अटक के बोलने का दौरा पड़ता है" कृषि बोला।
जिसे सुन आशना और कृषभ एक साथ बोल पड़े "फिर तो भीनी इसका भी इलाज कर देगी है ना
डॉक्टर भीनी वेद्द्यांत"
"नहीईईईई,,,मैं,,मै,,मै मुझे मार दो,,आप दोनो ही मार दो,,मैं खुशी खुशी मर जाऊंगा पर इस साइको डॉक्टर से इलाज नहीं करवाऊंगा" आशना और कृषभ की बात सुन वो आदमी का चेहरा डर से पीला पड़ गया वो हलाल होने वाले बकरे की तरह मेमियाने लगा।
"आखिर ऐसा हुआ क्या बंद दरवाजे के पिछे???जो ये खुद का मर्डर करवाने के लिए मरा जा रहा है" मन में सोचने लगे।
वही भीनी बेपरवाही से चेयर पर बैठी बिट खा रही थी। उसका मुंह लाल लाल हो गया था सभी उसे घूरने लगे क्योंकि उन्हें सारा माजरा समझ में आ गया था शिवाय कृषि के वो भीनी के पास गया और आखें फाड़े उसे देखने लगा।
सभी उसे ऐसे देखते देख समझ गए की उसके दिमाग में क्या ऊलजुलूल चल रहा।
"ए बुद्धू बड़बोले क्या घुर रहा?" भीनी उसके ऐसे घूरने से इरिटिड होकर बोली।
"अब समझ में आया की ये मरीज आदमी क्यों चिल्ला रहा था इतने देर तक" कृषि उसकी बात इग्नोर कर उसे शक की नजरों से घूरते हुए बोला।
"ऊलजुलूल बात ही समझ रहा होगा" रिहा मुंह बनाकर बोली।
"तुम खून पी रही थी ?" कृषि आंखे फाड़ उसे घूरते हुए बोला।
सभी एक साथ चौंक कर "व्हाट,,,???"
कृषि अपने गालों पर हाथ रख "हा देखो इसके मुंह में (खून वर्ल्ड को लम्बा खींच कर) खूऊऊऊन,,,हे भगवान इस पूरे समय तुम अपने पेशंट का खून पी रही थी,,, ओ माय गॉड तुम,,,तुम खून पीने वाली पिसाचनी कबसे बन गई? " सभी उसकी बात सुन अपना सर पीट लिए।
"अबे बिट खा रही वो,,,उसिका रस है जो खून जैसा लाल दिखता है समझा बुद्धू" कनंत कृषि के सिर पर टपली मारते हुए बोला।
कृषि समझते ही अपने ही हरकत पर जबरदस्ती हसते हुए "हिहिहि,,,मेरी बुद्धि का कोई जवाब नहीं" सभी उसकी बात सुन और हरकत देख मुंह बिचका लिए।
वो आदमी "ये लाल रंग देख के ही तो मैं चिल्ला रहा था इतने देर तक,,,,हुआ यूं की,,,,
फ्लैश बैक
भीनी जैसे ही क्लीनिक रूम में आई अपने सामने उस आदमी को स्ट्रेचर बेहोश पड़ा देख हैरान रह गई। बहुत बेहरमि से मारा गया था उसे चोट के निशान गहरे नीले पड़ गए थे आख़िर दो दिन तक इस हालत में था वो । भीनी को काफी गुस्सा आ रहा था उन दरिंदों के ऊपर फिर अचानक नॉर्मल होकर उसके शरीर का चेकअप करने लगी चोट का खून साफ कर मरहम पट्टी करने लगी।
जब उसका काम हो गया तो टेबल फ्रूट बास्केट में से बिट निकाल चाकू से काटने लगी और मन में बोली "अब इसे जल्दी होश में लाना है वरना हिटलर लीडर कच्चा चबा जाएगी मुझे"
वो अपने दिमाग का घोड़ा दौड़ाने लगी उसके दिमाग में कुछ आया और वो शैतानी स्माइल कर " आज इस मुर्गे को हलाल करना है इसका काम तमाम तो मैं चुटकी भर नमक की तरह कर लूंगी" उसकी इतनी ही बात काफी थी बेहोश पड़े आदमी को होश में लाने के लिए।
वो आदमी डरते हुए हकबका कर होश में आया उसकी नजर जैसे ही भीनी की तरफ गई आखें बड़ी बड़ी बाहर आने को हो गई भीनी बिट वाला चाकू जिसमे बिट को काटने से लाल रस लगा था वो साफ करते हुए उसे शैतानी और डरावनी स्माइल के साथ घूर रही थी।
वो आदमी चाकू और मुंह पर लगे बिट के रस को खून समझ और उसे भूतनी समझ कर चिल्ला उठा "नहीईईईईई,,, बचाओ बचाओ"
और रुका ही नहीं बस स्ट्रेचर पर चिपके हुए चिल्लाए जा रहा था । अब आगे का तो सब जानते ही है।
वर्तमान
"मैं चिल्लाए जा रहा था फिर,,,फिर (दिमाग पर जोर डालते हुए) आगे का मुझे कुछ याद नहीं"
"कोई जरूरत नहीं याद करने की हमे पता है सब"
सभी आखें छोटी कर भीनी को घूरते हुए बोले।
"क्या है? जल्दी होश में लाना था ना,,,ला दी अब क्या प्रोब्लम है?" सभी को घूरते देख भीनी भौंहे उच्का कर बोली।
"जहा तक हमे पता है बेहोश पहले से था और तुम,,,तुम होश में लाने की जगह दुबारा बेहोश कर दी वो तो हमारी महान लीडर होश में लाई वरना पता चला तुम्हारी वजह से टपक गया होता तो ना जाने क्या होता हम सब का" आशना और कृषभ को छोड़ सभी भीनी को घूरते हुए बोले।
"तुम सबकी बकवास हो गई हो तो अपना मुंह बंद रखो थोडी देर,,,(फिर स्ट्रेचर में पड़े आदमी के आखों के पास उंगली दिखाते हुए) और तू वहा जाकर जो जो देखा सुना समझा सब बको" कृषभ सख्ती से बोला।
"छोटी सी छोटी एक एक बात अगर मुझे लगा कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे तो याद रखना सेफ तो तुम यहां भी नहीं हो क्योंकि मैं यहां हूं" आशना डेंजर नजरों से घूरते हुए बोली।
वो आदमी आशना के नजरो के सामने भीगा चूहा लग रहा था।
क्या बता पाएगा ये आदमी काला भंडार का राज या हो जाएगी इसकी जिंदगी का राज समाप्त?
और कौन वो? के बारे मे बताने आया था वो आदमी इंस्पेक्टर मुरीद के पास
क्या होगा आगे ? जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ।
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