Adakaar - 49 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 49

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अदाकारा - 49

*अदाकारा 49*

 
   रंजन अपने दोस्त मयूर के साथ बेला पंजाब रेस्टोरेंट में बैठा था।मयूर ने बीयर की चुस्कियाँ लेते हुए पूछा।
"तुम्हारी फिल्म कहाँ तक पहुँची?"
"सिक्सटी प्रसंट शूटिंग पूरी हो चुकी है।फिल्म बनने की रफ्तार काफी तेज़ है।शायद अगले दो महीनों में पूरी भी हो जाएगी।"
"अच्छा?और उस शर्मिला का क्या हुआ?"
मयूरने बाई आंख मिचकारते हुए पूछा। 
तभी रंजनने एक ठंडी आह भरी।
"अभी तक कुछ नहीं।वह बहुत सख्त है यार। उस को उंगली लगाना भी मुश्किल है।"
"तेरे जैसे दिलफेंक ओर हैंडसम आशिक के लिए आखिर क्या मुश्किल है?"
मयूरने रंजन को उत्साह दिलाते हुए कहा।
लेकिन रंजन उदास स्वर में बोला।
"मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा यार। अगर तेरे पास कोई रास्ता हो तो मुझे दिखा।"
"अरे तेरे पास तो यह शानदार मौका है।"
मयूर ने कहा।
"वो कैसे?"
"शूटिंग के दौरान उसके अंगों को जान बुझ कर छूते रहो।ओर अगर वो कोई आपत्ति न उठाए तो समझ ले तेरी दाल गल रही है।और अगर वो आपत्ति करे तो बस ऐसा दिखावा करो की जो हुआ अनजाने में हुआ अजनबी बनकर सॉरी बोल दो।"
मयूर की बातें सुनकर रंजन हँस पड़ा।
"ये तो तु उसे जानता नहीं है इसीलिए ऐसी बेतुकी सलाह दे रहा है।उसे छूना याने हाथ में जलता हुआ कोयला छूने जैसा है।"
"तो फिर उसे पाना तेरे लिए नामुमकिन है। चुपचाप फिल्म खत्म कर और उसे पाने की उम्मीद से अपना मुंह फेर ले और क्या?"
मयूरने अपनी ओर से उसे आखिरी सलाह दी।
और दोनों दोस्त उस रात अपने अपने घर जाने के लिए अलग हो गए। 
अगली सुबह रंजन शूटिंग पर पहुँचा।कल रात मयूरने शर्मिला को पाने की बात पर पूर्ण विराम रखते हुवे यह कहा था की उसे पाना तेरे लिए ना मुमकिन है और इस बात ने रंजन के दिल में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी। 
शर्मिला आज अभी तक शूट पर पहुंची नहीं थी।
और रंजन की निगाहे बार बार शर्मिला को ही ढूँढ़ रही थीं। 
और ये कुदरत का अलिखित नियम है।कि जिस इंसान का तुम बेसब्री इंतज़ार कर रहे हो उसे आने में भले ही पाँच मिनट लगें पर लगता है जैसे हम घंटों से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।
शर्मिला आधे घंटे में आ गई।लेकिन रंजन उसका इंतज़ार करते-करते बैचेन होकर बैठा था।
शर्मिला को देखकर उसके चेहरे पर चमक आई वो बड़े जोश के साथ उसके पास आया और यह गाना गुनगुनाया।
"इंतहा हो गई इंतज़ार की।"
शर्मिला ने मुस्कुराते हुए कहा।
"क्या बात है हीरो?आज तुम बहुत अच्छे मूड में लग रहे हो।"
"मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ?"
"अच्छा?कोई खास वजह?"
शर्मिला के सवाल पर रंजन ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"दिल है कि मानता नही।"
रंजन की मुस्कान का जवाब शर्मिलाने भी मुस्कुराते हुए दिया।
"अगर कामयाबी चाहिए ना साहब तो एक्टिंग पर ध्यान दो फ़्लर्टिंग पर नहीं।"
शर्मिला के ताने से रंजन बुरी तरह से बौखला गया और अपना सिर खुजलाने लगा।
   शूटिंग शुरू हुई।आज का सीन था शर्मिला के दोनों बाजुओं को पीछे से पकड़कर धीरे धीरे सिर्फ़ रोमांटिक संगीत पर बाएँ से दाएँ और दाएँ से बाएँ डांस स्टेप्स करने का। 
संगीत शुरू हुआ।रंजन और शर्मिला एक साथ थिरकने लगे।शर्मिला को अपनी दोनों आँखें बंद करके यह क्रिया करनी थी।वह आँखें बंद किए खड़ी रहीं।रंजन उसके ठीक पीछे आकर खडा हो गया।
डायरेक्टर मल्होत्रा ने आवाज़ लगाई।
"लाइट्स।कैमरा।एक्शन।"
और रंजन ने शर्मिला के दोनों बाज़ू पीछे से पकड़ लिए।और फिर दोनों धीरे-धीरे बाएँ से दाएँ और दाएँ से बाएँ नाचने लगे उनके पैर थिरक रहे थे।नाचते-नाचते रंजन को मयूर के शब्द याद आ गए।
"शूटिंग के दौरान उसके अंगों को अंजान बन कर छूते रहना।"
जैसे ही उसे ये शब्द याद आए उसकी साँसें थोड़ी तेज़ हो गईं।उसने अपने बाएँ हाथ की उँगलियाँ शर्मिला की बाँहों से थोड़ी आगे की ओर सरका दीं।उसके उरूज़ की ओर।जैसे ही उसकी उँगलीने शर्मिला के ब्रेस्ट को छूवा उसकी रगों में बहता खून तेज़ी से दौड़ने लगा। और...
और शर्मिला के नाचते पैर जैसे ब्रेक लगे हो इस तरह स्थिर हो गए।उसने पलट कर रंजन को घृणा से देखा।लेकिन रंजनने ऐसा व्यवहार किया जैसे कुछ हुआ ही न हो और पूछा।
."क्या आप आराम करना चाहेंगी मैडम?"
रंजन के सवाल से शर्मिला को लगा कि शायद अनजाने में उसकी उंगली उसे टच हो गई है। उसने कहा।
"नहीं।मैं ठीक हूँ।चलो फिर से शुरू करते है।"
शर्मिला पहले की तरह आँखें बंद करके फिर से अपनी जगह पर खड़ी हो गई।और रंजन भी उसके पीछे आकर पहले ही की तरह उसके दोनों बाजुओं को पकड़ कर खड़ा हो गया।
 
(क्या लगता हे प्रिय पाठकों?क्या रंजन फिर से अपनी हरकत दोहराने की हिम्मत करेगा? अगर हां तो शर्मिला उसका किस तरह प्रत्युत्तर देगी)