हमारी ताई को  गालियाँ  देने  की  आदत  थी । वे आते-जाते  को  बेवज़ह  गालियाँ देती। यही बुरी आदत झगड़ा करा देती। एक  दिन मैंने उन्हें कहा  कि, "ताई  मिश्री खाकर गालियाँ  दिया  करो  इससे गालियाँ मीठी  हो  जाएँगी  और लोगों को  बुरा नहीं  लगेगा।  फ़िर जब वे मिश्री खाती और गालियाँ देती  तो  लोग  उन्हें  कहने  लगे  कि "क्या  बात!  है  ताई, आज  तो  बड़ा मीठा बोल रही हूँ।" रोज़  यही  सुनने  पर  उन्हें  शर्म आई। तब उन्होंने  गाली  देना  बंद किया। मैंने ही आसपास क़े लोगों  को समझाया था और सभी उनसे बिना  लड़े उन्हें  सुधारना चाहते  थे, इसलिए  सबने  मेरा  साथ  दिया ।

English Gandhigiri by Swatigrover : 111263430

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now