दौड़ती भागती सी है ये जिंदगी
नहीं एक पल का यहां सुकून....
कुछ पाने की चाहमे, कितना कुछ छूट रहा है
फिर भी कहा है वो सुकून....
मचलते अरमानों को पाने कि आश मे
खौ बैठे है हम ये सुकून...
जिंदगी जिने कि चाह मे
हम खौ बैठे हैं सुकून
सुकून कि आश लिए,
लो खौ बेठै वो सुकून....।। बिंदु अनुराग