मुद्दतो के बाद आज फिर सामना हुआ उससे,
ठुकराया था मुझे जिसने मेरा रंग देखकर....
शान से कुर्सी पर बैठा था वो,
उठ खड़ा हुआ अपनी जगह से, मेरा पद देखकर....
उसके लिये सुंदरता रंग-रूप में थी, मेरे लिए संस्कार..
जब देखा उसने मुझे, उससे ऊंचे पद पे,
शर्म से झुका ली आंखे, क्योंकि हुआ उसका उसी की नज़रो में तिरस्कार....