जन्म लेती है वो एक बेटी बनके।
आती है वो किसी की खुशी तो किसी उदासी बनके।।
सपने है आंखों में ऊँची उड़ान भरने के।
पर कभी वो बन जाती है एक वजह किसी के ख्वाब जलने के।
ना कोई उम्मीद है, ना कोई आश।
बस जीती है वो दुसरो के लिए बनाके उन्हें अपना खास।
खुश रखना है सब को,लानी है सब के चेहरे पर मुस्कान।
पर अपनो से मिलती है रुसवाई,नही है खुद को समजाना आसान।
पापा की परी बनके उड़ना है,भाई की बहन बनके चलना है।
पर आने वाली है बिदाई की घड़ियां, हर दम यही सुन के दूर सबके होना है।
जन्म लिया जहाँ उसी को पराया अब बनाना है।
एक नए घर को अपना बनाके,खुद के सपने तोड़ उनके सपने सजाना है।।
कहने के लिए अपनी,पर पराया खुद को कहलाना है।
किसी की अर्धागिनी बनके खुद को जीना सीखाना है।
यहाँ से भी कहाँ रुकता है सफर,
खुद की कोख से एक नया जन्म देना है।
माँ बनके अपने बच्चों को पालना है।
करे कोई नेक काम तो बाप का नाम रोशन होता है।
बिगड़े बच्चे तो बदनाम माँ को होना है।
पूरी जिंदगी पलको से सजाया जिस औलाद को,
एक दिन उसी से जलील होना है।
कौन कहता है एक औरत होना आसान है।
अपने वजूद के लिए पूरी जिंदगी लड़के इस दुनिया को अलविदा कहना है।।
happy women's day😊