कविता...
सच्चाई से प्यार करो
जीवन का श्रृंगार करो
भूलो सारे राग-द्वेष
प्रेम का तुम संचार करो
नहीं थमा है न थमेगा
जग का पहिया विश्वास करो
बैठो कुछ पल अपने साथ
ख़ुद से ख़ुद की बात करो
सुना दादी-नानी के किस्से
बच्चों संग बचपन याद करो
बैठ छत पर चाँदनी में
चाँद-तारों का दीदार करो
दो पल की ज़िंदगानी है
न एक पल भी बर्बाद करो
शशि बंसल गोयल
स्वरचित
9/4/20