"विश्वजयी किताबें"
विश्व पुस्तक दिवस आया तो ये ख्याल भी आया कि भीड़ तो इकट्ठी करनी ही नहीं है।
फ़िर? क्या किया जाए।
तय किया कि मित्रों को नहीं तो उनकी किताबों को ही आमंत्रित किया जाए। लेकिन लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए।
केवल उतनी ही किताबें, जिनका कद कुल मिलाकर मुझसे ज़्यादा न हो ! विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
"दुनिया का कोई संकट किताबों को नहीं नुकसान पहुंचा सकेगा। हर संकट पर किताबें तो आएंगी।"
कालजयी किताबें... संकटजयी किताबें!
उन मित्रों का दिल से आभार जिनकी किताबें मेरे साथ "विश्व पुस्तक दिवस" मनाने चली आईं!