मीठी बातें तो करो मुझसे!"
प्यार सर्वोच्च हो या न हो, प्यार का सपना तो अंततः सर्वोच्च हो ही सकता है। किसी के सपने पर किस का अख़्तियार है?
मैंने आज स्टोरी मिरर द्वारा प्रकाशित मल्लिका मुखर्जी और अश्विन मकवान का चैट उपन्यास "यू एंड मी" पढ़ा।
ये एक अद्भुत प्रयोग है। यदि किसी लेखक या प्रकाशक द्वारा ऐसा दावा किया जाय कि जो कुछ है, सब सत्य या वास्तविक है तो इस बात में वक़्त गंवाना फ़िज़ूल है कि क्या कैसा है! तुरंत पढ़ने बैठ जाना चाहिए। और पढ़ने के बाद?
और पढ़ने के बाद तो सब कुछ इतना आसान हो जाता है कि 318 पृष्ठ के उपन्यास को एक लफ़्ज़ में भी बयां किया जा सकता है, बस कह सकते हैं "अल्टिमेट"!
ये उपन्यास आपको यकीन दिलाता है कि ज़िन्दगी खो जाए तो मिल जाती है। सपने फट जाएं तो सिल जाते हैं। सुख मुरझा जाए तो फ़िर खिल जाता है!
बस शर्त यही है कि कुछ "सुन्दर" हमारे रास्ते में आ जाए, हम "शिव" होकर उसे चाहें और उसे काल "सत्य" का प्रतिबिंबन बना लें।
ज़िन्दगी के रास्ते में ख़ूबसूरती भी दौड़ी चली आती है, अगर हीरे सी दमकती आंखों से उसे तलाशा जाए।
सब संभव है, मीठी बातें तो करो मुझसे!