खुदपे इतना गुरुर करने वाले तु औरो को समज ही नही पायेगा, ओवर कोन्फीडन्स मे ऐक दी खुद ही धोका खायेगा, ना समज पायेगा क्या अपना क्या पराया और छला जायेगा, और छलने के वाद भी अकेला रह जाएगा, ये सही नही के पुरी दुनीया खराब है, मगर समजले की तेरी सोच ही तो नही खराब है, अगर होती नही महोबते तो
तु भी न होता मे भी न होता, ये संसार भी न होता , ए महोबत के अक्ल के दुश्मन क्या तेरी नीयतही नही खराब है?
#खुद