#शांतिपूर्ण .. एक हाथनी की जुबान सुनिए ।
मां आखिर आप क्यों गई थी वहा
इंसानों की बस्ती में ?
हम रह रहे थे जंगल में सामने इंसानों का डेरा था
हरी घास हमने खाली कुछ नया खाने का मन हो रहा था हम समझते थे वहां इंसानो की बस्ती है वहा हर घर में मंदिर है मूर्तिकी पूजा होती है कभी तो अल्लाह की इबादत तो कभी गुरुद्वारा में कीर्तन की गूंज होती है यहां हर दिल में एक ईश्वर बसता है बस हम वही देखकर गए थे इंसानोंकी बस्तीमें
मां आखिर आप क्यों गई थी वहा
इंसानों की बस्ती में ?
इक अनानास लेकर मुस्कुराता इंसान हमारे और आया हम देखकर प्रसन्न हुए हमने तुरंत वह फल अपनाया था क्या मालूम क्या पता हम खाते ही जाते थे तभी धड़ाम से आवाज आई उसमें एक बारूतने विस्फोटसे हमारा गला ही जला डाला था
हम आकुल व्याकुल हो गए थे हमारे चारों तरफ केवल अंधेरा ही अंधेरा था चिकते चिल्लाने लगे
मां आखिर आप क्यों गई थी वहा
इंसानों की बस्ती में ?
आखिर हमने इंसानी बस्ती को हमेशा के लिए छोड़ा था हम आ गए थे अब जल में आंखों में आंसू की धारा थी हमारी सूट में मुह के जबड़े में
अब रहा ना जाता था हम मर गए थे उसी दिन पर तुम्हारी उम्मीद ने हमें पानी में तीन-तीन दिन तक जिंदा रखा था मां अगर तू चाहती तो इंसानों की बस्ती भी बंजर बना सकती बेटा उन्होंने छोड़ दी इंसानियत हमारे में आखिरी दम तक जिंदा है ।
मां आखिर आप क्यों गई थी वहा
इंसानों की बस्ती में ?
हमारे इंसानों के बीच में आकर एक बेजुबान सा जानवर जिस में हिम्मत थी शक्ति थी सब कुछ फिर भी तीन-तीन दिन तक पानी में अपना जख्म छुपाए आखिर में दम तोड़ देता है। उसने तो इंसानियत रखी केवल इंसानियत में हमारी कमी थी। निवेदन है दोस्तों इसको ज्यादा शेयर करें लाइक नहीं करें तो चलेगा ता की लोग एक बेजुबान जानवर की भाषा समझ पाए।
सुनिल कुमार शाह
8401560818