मिट्टी की उपज है यारों,
इक दिन खुद मिट्टी हो जाना है।
किस बात का घमंड है प्यारे,
सब यहीं धरा रह जाना है।
रिश्ते तुम लाख निभाओं,
पर साथ कुछ नहीं जाना है,
अंत समय में उस प्रभु संग रिश्ता ही काम आना है।
#मिट्टीकी
🖋️"प्रज्ञा चांदना"

Hindi Religious by Pragya Chandna : 111510625

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