हिन्दी शक्ल है सहज सरल ज़ुबानों की,
छंद अलंकार रस के घुलते पैमानों की।
गीतों और कविताओं का नाम है हिन्दी-
हिन्दी जान है इन भाषाई फूलदानों की।

साहित्यों से निकलता मकरंद है हिन्दी,
हिंद की एकता का अटूट बंध है हिन्दी।
दुनिया के मंचो पर जब भी होती है ये,
बोलती है तो फिर विवेकानन्द है हिन्दी।

जगत में फैलता एक #विश्वास है हिन्दी,
अंधकार पे दिवाकर का उजास है हिन्दी।
अमूल्य घरोहरों को करती है संकलित-
क़बीरा के कुल का नव विकास है हिन्दी।

व्यंग,शालीनता,हँसी ठिठोली है हिन्दी,
आम भारतीय की ख़ास बोली है हिन्दी।
हिंदी माँ है और मुल्क की राजभाषा भी-
जुबां ए उर्दू की बहन मुँहबोली है हिन्दी।

अभिमान है कि हम हिन्दी भाषी संताने है,
कुछ एहसान हमें इसके अब यूँ चुकाने है,
नव सृजन करें नव क़लम ले विचारों की,
हिन्दी को भाषा बना दें मिलकर ज़माने की।

हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

Hindi Poem by Ridj : 111569042

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now