मैंने देखा ही नहीं अपनी हथेलियों में,
तेरे नाम की लकीर ही नहीं थी,
बेशूमार मोहब्बत कर बैठे तुझसे,
पता ही ना चला की बहरूपिया रोशनी के साये में है हम।

-Dinkal

Hindi Shayri by Dinkal : 111587750

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