अब नहीं,,,
अब ये जिम्मेदारियों का टोकरा, सिर पर टिकाया नहीं जाता!!!
नहीं,अब नहीं,,,
अब ये समझदारी का सेहरा हमसे यूँ सजाया नहीं जाता!!!
बस अब,,
कब तक जज्बातों को अपने अन्दर दबा कर रखे हम,,,
क्यूँ भावनाओं को मन में छिपाकर रखें हम,,,
क्यूँ ना ख्वाहिशों के आसमां में, अपनी उम्मीदों के पंख फैलाए हम,,,
आखिर जिन्दगी अपनी है तो उसे अपना क्यूँ ना
बनाएं हम!!!
-Khushboo bhardwaj "ranu"