और कितना अब?????
कितनी लाशें देखनी और अभी बाकी है ????
ये जो अम्बार है ना, जलती चिताओं का अभी सिर्फ झाँकी है!!!!
ना हो तुम्हें लगाव जीवन से अपनी ऐ दोस्त,,,
अपनों की सलामती ही
हमें जिन्दगी दिखाती है!!!!
रुक जाओ अब और रोक लो ये मातम का विस्तार,,,,
तोड़ी ना जो ये श्रंखला लापरवाही की,,,,
शमशान बन जाएगा अपना घर संसार!!!!
please,,,, लापरवाही छोड़ें हम सब,,, इस बीमारी को मात देने में एक दूसरे का सहयोग करे,,,
दूरी बनाकर,,,
सारे नियम अपनाकर,,,
अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहा।।।
please🙏🙏🙏🙏🙏
-Khushboo bhardwaj "ranu"