19/07/2021
विषय-दरखत,
देखो, अपकी सेवा में
दरख़्त खड़ा है,
दिन-रात अविराम,
दरख़्त खड़ा है,
न थका नहीं हारा है,
दरख़्त खड़ा है,
ठिठुर जाएं ऐसी ठंड हो,
यां कड़ी धूप हो,,
क्यों न मुशलाधार,
बारिश हो फिर भी,
अड़ींग दरख़्त खड़ा है,
आपकी खातिर ये
तेज़ हवा से भी
टकरा जाता हैं,
दरख़्त खड़ा है,
आपकों देता है घनी छांव,
आपकों देता है विश्राम,
आपकों देता है आराम,
आपकों देता है सुख-चैन,
आपकों देता है मीठे-मीठे फल,
आपकों देता है सुखद पल,
आपकों देता है सुनहरा कल,
दरख़्त खड़ा है,
आपकों देता है अगर-चन्दन,
आपकों करना चाहिए
उन्हें वन्दन,
आपकों देता है आक्सिजन,
आपकों देता है अनगिनत औषध,
आपकों देता है पत्र-पुष्पों,
फिर भी क्यों न आप
उन्हें बक्सों,
दरख़्त खड़ा है,
आपकी सेवा में समर्पित है,
नि: स्वार्थ और निर्ममत्व से,
फिर क्यों उनकी जिंदगी
लूटने के लिए हरदम
तैयार रहते हो,
दरख़्त खड़ा है,
सीखों उनके जीवन से,
इन्सान हों इन्सान बनो,
किसी को काम आने का
नाम ही तो जीवन का
मतलब है क्या ये सीख,
नहीं देता हैं दरख़्त,
लेखों,दरख़्त खड़ा है।
स्वरचित डॉ दमयंती भट्ट।