ऐ परिंदों,मनचाहे आसमान में उड़ो,
छू लो अनन्त ,असीम ऊंचाइयों को,
पा लो सर्वोच्च,मनोवांछित हर लक्ष्य,
पर अपनी ज़मीन से नाता न तोड़ो,
जब तुम्हारे पर थक जाएं उड़ते-उड़ते,
अपनी ज़मीन पर जरा आराम करो,
माँ की ममता, पिता का आशीष लेकर,
पुनः उड़ जाओ एक नए क्षितिज की ओर।

रमा शर्मा 'मानवी'
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Hindi Poem by Rama Sharma Manavi : 111748934

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