सही  है   या   नहीं  है,
जो कुछ भी है  यहीं है।
बहुत   पीड़ा   सही  है,
सुकून फिर भी नहीं है!
हूँ मैं नज़दीक  लेकिन,
तू  ही  दूर  जा  रही है।
कहा कि  ठीक है सब,
गलत  तू  ने   कही  है।
उदासी   ही    मिलेगी,
कहीं  मैं    तू  कहीं  है।
वो   मेरी    ही   रहेगी,
गलत  फ़हमी  रही  है।
जिएगा    अक्ष   कैसे?
कभी  जाना   नहीं  है।
-अक्षय धामेचा