हमारेे जीवन मे दुःख है तो समझना होगा कि हम नदी के एक किनारे थोड़ी देर ,कुछ देर और हो सकता है रोज कुछ देर आकर बैठे पर मन मे हर रोज नई हलचल जरूर होगी । क्योंकि मन एक तट पर स्थिर नहीं बैठ सकता ऐसे में हम चाहकर भी प्रकृति का लुत्फ़ नहीं उठा सकते।
इसलिए जब अर्जुन कहता है सखा मैं सब कुछ कर सकता हूँ पर मन को वश में करना मेरे लिए असम्भव है तब कृष्ण ने अर्जुन को आत्मज्ञान दिया और अर्जुन मन को साध पाया।
वही स्थिति हमारी है जब हमारे मन में हीे अशांति होगी तो हम दुनिया के हर सुख ,उपलब्धि पाकर भी दुखी ही रहेंगे!
-गायत्री शर्मा गुँजन