अगर आप सोचें कि तमाम कोशिशें करके आप सुखी हो जाएं तो हो सकता है आप ऐसा कर पाएं पर मानसिक दुःख कभी आपका पीछा नहीं छोड़ सकता क्योंकि बुद्धि अपनी स्थिरता अधिक देर तक कायम नहीं रख सकता तो चिंतन के साथ तर्क निरन्तर चलता रहता है यह
जरूरी है स्वयं को स्वंय से न्यूट्रल रहने की प्रक्रिया का ज्ञान होना!
-गायत्री शर्मा गुँजन