प्रेम और आकर्षण
प्रेम , मोहब्बत, प्यार ,इश्क आजकल यह शब्द सबसे ज्यादा उपयोग किये जाने वाला शब्द है, पढ़ने से लेकर
सुनने तक की तादात दिनोदिन बढ़ रही है सबसे अधिक बाजार इसी ने सजाया है | हर कोई इसे खरीदना और बिकना चाहता है | एक युवा और कुमारमन किसी लड़की या महिला को देखकर आकर्षित होता है और उसे जीवन आधार मान लेता है | रात- दिन उसके बारे मे सोचना नये-नये तरीके और प्रयोग फिर धीरे -धीरे उसमे मन ऊबने
लगता है और वही युवामन दूसरी तरफ भागने लगता है | और आजकल एक नया शब्द और जुड़ गया है ब्रेकअप यह उस ऊब और आकर्षण के बीच से निकला पश्चाताप जैसे किसी लम्बी बिमारी से जूझ रहे आत्मीय की मृत्यु का शोक हो | फिर सबकुछ पुनः अपनी स्थिति पर अपने नये वैवाहिक जीवन मे प्रवेश के साथ | आज प्रेम का अस्तित्व
संकट मे है इस आकर्षण रूपी राक्षस ने उसके मुँह पर कालिख मल दी है | प्रेम कही किसी कोने मे शरण माँग रहा है , कभी मंदिर के बाहर जाकर बैठता है तो कभी किसी पेड़ के नीचे जलते दिये में खुद को तलाशता है | कभी नदी मे बहते पत्तो को पकड़ने की असफल कोशिश करता है | कभी यमुना के तट पर बैठ जाता है तो कभी पर्वतो के की ओर टकटकी लगाये देखता रहता है | कभी रियाल पर रखकर ग्रन्थ पढ़ रहे साधू के हृदय को टटोलने लगता है ,
है गुंजाइश यहाँ रहने की मुझ आश्रयहीन को | लेख