... ॐ..माँ.. ॐ...
माँ उठती है, तो भोर होता है....
माँ द्योतक दुनिया की, विधि पर जोर होता है।।
माँ हंस दे, तो खुशियां चहुंदिश बिखरती हैं।
माँ रोये, तो उदासी हर ओर दिखती है।।
माँ शांत हो, तो सूकून हरद्वार मिलता है।
माँ विकल हो, एकांत में भी शोर होता है।।
माँ से ही, घर में रोर(चहल-पहल) होता है।
मां जो कहे, वही अंतिम छोर होता है।।
सताओ ना कभी माँ को, ये जननी जगत की है।
खबर हर पल, हर इक कोने की रखती है।।
मिले तो चुमकर इनकी, चरण तुम वंदना करना।
छमा कर देगी इकपल में,माँ का मन मोर होता है।।
#दर्पणकासच
#माँ
#ममतामयी_माँ
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111827444
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

अत्यंत मार्मिक रचना....

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