कभी-कभी
दवा भी चुप हो जाती है
और दुआ भी थक जाती है…
तब इंसान समझता है
कि ज़िंदगी सिर्फ़ बचने का नाम नहीं,
खुद को महसूस करने का नाम भी है।
जैसे
अंधेरी रात में जला छोटा-सा दिया
पूरे अंधेरे को नहीं हराता,
लेकिन इतना ज़रूर कह देता है—
“रोशनी अभी ज़िंदा है।”
अगर आज मन भारी है,
अगर दिल थका हुआ है,
तो याद रखना—
यह अंत नहीं,
यह तुम्हारी ताक़त का ठहराव है।
ख़ामोशी भी कभी-कभी
सबसे ऊँची आवाज़ बन जाती है,
बस सही दिल तक पहुँचने की देर होती है।
तुम टूटे नहीं हो,
तुम बन रहे हो।
— Nensi Vithalani