जिन किनारों ने बहने दिया न कभी,
वेग से बह के पानी की धार हो गए,
सागर से मिलने की तमन्ना लिए,
स्वार्थ की नांव बनाकर सवार हो गए,
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Hindi Shayri by Poetry Of SJT : 111827761

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