यादें! जब रुला दें,
बिन नींद ही सुला दें।
तड़प! ऐसी, मुहब्बत में,
खुदगर्जी! जरूर यार कि रही होगी।।
#दर्पणकासच
#दर्द_छलक_जाता_है
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111827987

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