प्राकृति ने हमे सबकुछ
सहज और अनवरत दिया मगर !
ग्रहण क्षमता माध्यम के आधीन कर
हमे शिक्षक की भूमिका से अवगत कराया |
इसके पीछे भी मूल कारण रहा होगा |
सीखने से उत्पन्न दोषो से रक्षा |
सर्वप्रथम आदरणीय शिक्षिका प्रकृति है ,
जिसने सीखने की व्यवस्था की |
द्वितीय माता पिता है|
तृतीय पूर्व संग्रहित ज्ञान से हमारा
परिचय करवाने वाले |
चौथा जीवन रुपी किताब के पन्ने पर
अंकित अनेकानेक किरदार |
चाहे उनकी भूमिका कुछ क्षण ही क्यों न रही हो ,
हमारा ध्यान जीवन के रहस्य अथवा समाधान की
ओर आकृष्ट कर देने वाले |
पाँचवा शिक्षक हमारे भीतर बैठी आध्यात्मिक चेतना है |
अगर चारो शिक्षक सफल होते है तो पाँचवा शिक्षक हमे ,
सहजता से ब्रह्मांड और हमारे बीच के संबन्ध को रहस्योंत्घाटित कर देता है |
शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर
आज इन सभी शिक्षकों को करबद्ध,
दणडवत प्रणाम करती हूँ |
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