प्रेम मे अधिकार ही सुख है |
जहाँ अधिकार की अनुभूति नही वहाँ सुख कैसा ?
यह गर्व,अधिकार, और सुखानुभूति के लिए ही तो ,
ईश्वर ने स्वंय को ही अनंन्त भागो मे बाँटा है |
"मै केवल उनकी हूँ , उनके लिए हूँ ,उनमे हूँ | वे मेरे हैं , मेरे लिए है , मुझमे हैं , अनंतकालतक , काल से परे |