*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*फसल,सोना,कृषक,कुसुम,बसंत*
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फसल
फसल खड़ी है खेत में, आनन पर मुस्कान।
पल पल रहा निहारता, बैठा कृषक मचान।

सोना
सोना उपजे खेत में, कृषक बने धनवान।
सुखद शिला श्रम की यही, मिले सदा सम्मान।।

कृषक
कृषक बदलता जा रहा, ट्रैक्टर कृषि संयंत्र।
इन उपकरणों से रचा, जागृति का नवमंत्र।।

कुसुम
कुसुम खिले हैं बाग में, सुरभित हुई बयार।
मुग्ध हो रहे लोग सब, बाग हुए गुलजार ।।

बसंत
ऋतु बसंत की पाहुनी, स्वागत करें मनोज।
बाग बगीचे खेत में, दिखता चहुँ दिश ओज।।

मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111857447

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