हर तलब से बुरी है इश्क की तलब यारों,सांस छोड़ेगी मगर प्यार नहीं छोड़ेगी,बड़ी जालिम है आदत ये कि घर बार छोड़ेगी मगर यार नहीं छोड़ेगी

-Shrikar Dixit

Hindi Shayri by Shrikar Dixit : 111859827

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