"सफ़र"
शायद कहीं गली में,
दूर आसमान मेरा खो गया,
न जाने कितने भँवरों ने रोया,
सावन ने रैन में सब भिगोया।
नादान दुनिया ना समझ सकी,
चाहत के वो अनमोल पल,
सागर भी वही बना,
जो भूल गया बीता कल।
मेरी यादों में तन्हा रातें कटी,
पत्थर को छू कर साँसें थमी,
हम खो गए उस मोड़ पर,
जहाँ किस्मत ने राह ही न सुनी।
भाग्य ने जीवनभर चुप्पी साधी,
कोई ना आया, ना आवाज़ दी,
बस एक सफ़र सा रह गया मैं,
जिसे न मंज़िल मिली, न बंदगी
_Mohiniwrites