बारिश और पुरानी यादें
बारिश की बूंदें जैसे ही ज़मीन पर गिरती हैं, एक भीनी-भीनी खुशबू के साथ पुरानी यादों के पन्ने खुलने लगते हैं। कहीं बचपन की बारिश में भीगने की मासूमियत, तो कहीं कॉलेज के दिनों की चाय और गाने की यादें। कभी किसी के साथ बिताए लम्हों की हल्की सी टीस भी, बारिश में और गहरी लगती है। हर बूँद जैसे किसी भूली-बिसरी याद को छू जाती है — भीगी दोपहरें, बरसात में लिखा कोई खत, या किसी का इंतज़ार। बारिश, बस यूँ ही दिल को भिगो देती है… यादों में भी और एहसासों में भी।