अर्जुन धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उसके पास आया।
“आप यहाँ बैठी हैं — ये जगह सबसे ज्यादा ओपन है। कोई भी हमला यहाँ से सबसे आसान है।”
“क्या आपको लगता है कोई मुझे रंगोली बनाते वक्त मार देगा?”
“खतरे टाइम देखकर नहीं आते,
"हां और न ही आप।”सिया फुसफुसाई।अर्जुन ने उसकी साड़ी का पल्लू हल्के से उठाया —
“ये कोना ज़मीन से घिस रहा था, आप गिर सकती थीं।”सिया ने अर्जुन को देखा ,जो उसे ही एकटक देख रहा था,सिया को काव्या की बात याद आई। उसकी नजर काव्या के मुस्कुराते चेहरे पर पड़ी मानो कह रही हो"देखा ?" सिया ने अपना सिर झटका ।
"थैंक यू!"💕
तभी.....
एक रंग की प्लेट खिसककर दूर जा गिरी।
सिया ने उसे उठाने के लिए झुकना चाहा —
लेकिन उससे पहले अर्जुन ने वो प्लेट उठाई… और गलती से उसकी उँगलियाँ सिया की उँगलियों से टकरा गईं।💗
वो पल… धीमा, गर्म, और कुछ कहता हुआ।
एक पल को सब कुछ ठहर गया।✨
सिया ने उसकी उँगलियों की पकड़ महसूस की — मज़बूत, मगर निडर हुई।💕✨
“छोड़िए...”सिया ने हल्की आवाज में कहा।
“गिर जातीं आप।”
#hukmaurhasrat
जल्द ही 🔥🔥
#अध्याय5
~diksha