तुम दुनिया को ही देखती रही।
ज़िंदगी तेरे नाम की धुन बन गई,
तेरे लिए साँसों की कोई जुनून बन गई,
मैं पुकारता रहा, नज़रों से बाँधता रहा,
और तुम.. दुनिया को ही देखती रही।
मेरी धड़कनों ने तेरा गीत गुनगुनाया,
हर लफ़्ज़ ने तेरा चेहरा सजाया,
मैंने तेरी चुप्पियों को भी समझा,
तेरी ख़ामोशी में खुद को पाया।
प्रीत मेरी प्यासी थी, आँखें बरस आईं,
तेरे करीब आकर भी दूरियाँ रह गईं,
और तुम.. दुनिया को ही देखती रही।
मैं धरा हूँ, तेरा आँचल हूँ,
तेरे बिखरे सपनों का संबल हूँ,
तू क्यों तारों में तलाश करती है रोशनी?
तेरी दुनिया तो यहीं, मेरी आँखों में है बसी।
मैंने पर्वत तोड़ दिए तेरे लिए,
समंदर बाँट दिए तेरे लिए,
और तुम.. दुनिया को ही देखती रही।
प्रेम की अग्नि से जीवन सँवार दूँ,
तेरे होंठों से हर ग़म उतार दूँ,
तेरे हाथ थामकर नए गीत लिखूं,
तेरे सपनों में ख़ुशबू बुन दूँ।
पर तुम आदर्शों की परछाइयों में खोई,
मेरे प्यार को न देख पाई, न रोई,
और तुम.. दुनिया को ही देखती रही।
मैं चाँद नहीं, कोई सितारा नहीं,
तेरी धरती हूँ, तेरा सहारा हूँ।
तेरे बिना मेरा होना अधूरा है,
तेरी ख़ामोशी में ही मेरा सवेरा है।
ज़िंदगी तुझसे ही रंगों में ढली,
तेरे बिना हर साँस खाली रही,
और तुम.. दुनिया को ही देखती रही।
आओ, बीते कल की छाया मिटाएँ,
आज के प्रेम को गीत बनाएँ,
तारे भी हमारी धड़कनों संग गाएँ,
चाँदनी में सपनों का दीप जलाएँ।
ज़िंदगी अरमान बनके मुस्कुराई,
मेरी बाहों में नई पहचान समाई,
फिर भी तुम.. दुनिया को ही देखती रही।