आसमान की ख्वाहिश में,
तुम क्यों अपनी जमीन को भूल जाते हो।
आगे बड़ने की हवस में,
तुम क्यों मुझको ही पीछे छोड़ जाते हो।
मैं नहीं पुरानी सोच कोई
जो तुम मुझको छोड़े जाते हो।
मैं अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम मुझे दबायें जाते हो।
मोड़ नहीं सकते मुहं लालच से
तो क्यों मुझसे भागे जाते हो।
नहीं साहस है तो कह दो ना
क्यों मुझसे नजरें बचा के जाते हो।
मैं अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम मुझे दबायें जाते हो