अज्ञान की आरती
नकली ज्ञान की धूल से बेहतर,
अज्ञान की हवा है — हल्की, सच्ची।
जहाँ कोई दावा नहीं,
वहीं सत्य की पहली झलक मिलती है।
नास्तिक होना अपराध नहीं,
वह पहला स्नान है झूठ से।
जहाँ ईश्वर की मुहर नहीं,
वहाँ जीवन की गंध अभी जीवित है।
धार्मिक बनकर जो झुकता है,
वह अपने ही अहंकार को पूजता है।
अज्ञानी जो सिर उठाता है,
वह प्रश्न में भगवान ढूंढता है।
शुद्ध वही है —
जो कह सके, “मुझे नहीं पता।”
वहीं से जन्म लेती है
सबसे निर्मल प्रार्थना।
🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
अज्ञात अज्ञानी