तुम हमारी बात में
हम तुम्हारी बात में,
निरक्षर पेड़-पौधों की
बहुत सुन्दर छाया है।
तुम हमारी बात में
हम तुम्हारी बात में,
निरक्षर नदियों में
बहुत मीठा पानी है।
तुम हमारी बात में
हम तुम्हारी बात में,
निरक्षर गाय-भैसों का
बहुत सफेद दूध है।
तुम हमारी बात में
हम तुम्हारी बात में,
निरक्षर फूलों पर 
बहुत सुन्दर रंग हैं।
*** महेश रौतेला