मैं ख़्वाब हूँ
किसी टूटे परिंदे का,
जिसे पाने की चाह में
वो दूर तक उड़ता गया।
मैं उसके पंखों में बसी उम्मीद हूँ,
उसकी तमन्नाओं का सबसे खूबसूरत मंजर ।
मैं ख़्वाब हूँ — जो उसके अश्कों से जन्मा,
पर उसकी पलकों पर ठहरना मेरी किस्मत में कहाँ था…
वो मुझे पाने की धुन में
पंख फैलाए खुले गगन में उड़ा,
थककर एक शाख़ पर ठहरा,
आसमान देखा — मानो फिर से सँवरा।
पर हवाओं ने छीन लिया बसेरा,
और वो फिर गिरता चला गया।
वो गिरा तो पंख टूटे उसके,
पर दरक मैं भी उतना ही गया —
फ़र्क बस इतना था…
वो ज़मीन पर बिखर गया,
और मैं उसकी रूह में उम्रभर की चुभन बन गया।
ArUu ✍️