मेरा साथ निभाना साथी।
मुझे छोड़ मत जाना साथी।।
फेरे लिए अग्नि-पथ के हैं ।
प्रेम सुधा बरसाना साथी।।
सुख-दुख तो आना-जाना है।
इससे मत घबराना साथी।।
जीवन पथ पर चलें निरंतर।
कुछ भी नहीं छिपाना साथी।।
मेरा जो वह सब तेरा है।
ऐसे भाव मिलाना साथी।।
पथ पथरीले राह कठिन है।
उलझन सभी मिटाना साथी।।
ऊँचीं-ऊँचीं बनीं सीढ़ियाँ।
गहकर हाथ चढ़ाना साथी।।
मनोजकुमार शुक्ल 'मनोज'