तुम्हें छूना... हमेशा रोमांस नहीं होता, कई बार ये तुम्हारी रूह से अपनी रूह को थोड़ी देर के लिए जोड़ लेने जैसा होता है।
तुम्हें गले लगाना... मानो सारे डर, सारी थकान एक ही पल में पिघल जाए।
कई बार बहुत तरस जाता हूँ सिर्फ़ तुम्हारी उँगलियों के हल्के-से स्पर्श के लिए, तुम्हारी बाँहों के उस घेराव के लिए जहाँ दुनिया का शोर एकदम ख़ामोश हो जाता है।
बस एक ही कसक रहती है-तुम आओ... और मुझे यूँ थाम लो जैसे मैं तुम्हारी ही धड़कन हूँ