Vedānta 2.0 कोई नया धर्म नहीं, बल्कि वेदान्त का शुद्ध बोध है।
यह विधि, उपासना, प्रदर्शन और विश्वास–आधारित साधना से मुक्त दर्शन है।
वेदान्त 2.0 कहता है कि जीवन से अलग कोई साधना नहीं होती —
जीवन स्वयं साधना है।
होश, विवेक और संवेदना के साथ जीया गया प्रत्येक क्षण ध्यान है।
कर्म बंधन नहीं, प्रतिक्रिया बंधन है।
सेवा पुण्य नहीं, जीवन का संतुलन है।
शब्द जहाँ समाप्त होते हैं, वहीं वेदान्त पूर्ण होता है।
- Vedanta Two Agyat Agyani